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७ एक वैक्रिय पु० परा० में अनन्त वचन पु० परा० जाव |
॥
इति पुल मध्य पुगल परावर्त द्वार ॥
६ पुल परावर्त्त किये उनका अल्प बहुत्वः -- १ सर्व जीवों ने सर्व से अल्प वैक्रिय पु० परा० किये २ इस से वचन पु० परा० श्रदन्त गुणे अधिक किये ३ इससे मन पु० रा० अनन्त गुणे अधिक किये ४ इससे वासो० पु० परा० अनन्त गुणे अधिक किये ५ इससे श्रदारिक पु० परा० अनन्त गुणे अधिक किये ६ इससे तैजम् पु० परा० अनन्तगुणे अधिक किये ७ इससे कार्मण पु० परा० अनन्तगुणे अधिक किये ।
॥ इति पुद्गल करण अल्प बहुत्व || ॥ इति पुल परावर्त्त सम्पूर्ण ॥
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