________________
थोकडा संग्रह ।
६ मिथ्यात्व दृष्टि में भाव ३, आत्मा ६, लब्धि
५, वीर्य १, दृष्टि १, भव्य अभव्य २, दंडक २४, पक्ष २ । ७ मिश्र दृष्टि में भाव ३, आत्मा ६, लब्धि ५, वीर्य १, बाल वीर्य, दृष्टि १, भव्य १, दंडक १६, पक्ष १ शुक्ल ।
१० समुच्चय ज्ञान द्वार के १० भेद ।
१ समुच्चय ज्ञान में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १, भव्य १, दंडक १६, पक्ष १ शुक्ल । २ मति ज्ञान ३ श्रुत ज्ञान में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १ भव्य १ दण्डक १६, पक्ष १ शुक्ल । ४ अवधि ज्ञान में भाव ५, आत्मा लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १ भव्य १, दण्डक १६, पक्ष २ शुक्ल । ५ मनः पर्यव ज्ञान में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १, भव्य १, दण्डक १, मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल ।
६ केवल ज्ञान में भाव ३, (उदय चायक, परिखामिक) आत्मा ७ ( कषाय छोड़ कर ) लब्धि ५, वीर्य १, दृष्टि १ भव्य १, दण्डक १, पक्ष १; ।
(३४२ )
*
७ समुच्चय अज्ञान मति अज्ञान ६ श्रुत अज्ञान में- भाव तीन; आत्मा ६, लब्धि ५, वीर्य १ बाल वीर्य, दृष्टि १, मिथ्यात्व दृष्टि, भव्य अभव्य २, दण्डक २४ पक्ष २ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org