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श्रोता अधिकार ।
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को बजाने वाला पुरुष यदि राजा की आज्ञानुसार भेरी बजावे तो राजा खुशी होकर उसे पुष्कल द्रव्य देवे वैसे ही विनीत शिष्य-श्रोता-तीर्थकर तथा गुादिक की आज्ञा. नुसार सूत्रादिक की स्वाध्याय तथा ध्यान प्रमुख अंगीकार करे तो कर्म रूप रोग दूर होवे और सिद्ध गति में अनन्त लक्ष्मी प्राप्त करे यह आदरने योग्य है।
दूसरा प्रकार-भेरी बजाने वाला पुरुष यदि राजा की आज्ञानुसार भेरी नहीं बजावे तो राजा कोपायमान होकर द्रव्य देवे नहीं वैसे ही अविनीत शिष्य ( श्रोता) तीर्थकर की तथा गुवादिक की आज्ञानुसार सूत्रादिक की स्वाध्याय तथा ध्यान करे नहीं तो उनका कर्म रूप रोग दूर होवे नहीं व सिद्ध गति का सुख प्राप्त करें नहीं यह छोडने योग्य है।
१४ आभीरी-- प्रथम प्रकार-आभीर स्त्री पुरुष एक ग्राम से पास के शहर में गड़वे में घी भर कर बेचने को गये । वहां बाजार में उतारते समय घी का भाजनबतेन फूट गया व जिससे घी दुल गया । पुरुष स्त्री को कुवचन कह कर उपालम्भ देने लगा, स्त्री भी पुनः भता के सामने कुवचन कहने लगी । इस बीच में सब घी निकल कर जमीन पर बहने लगा व स्त्री पुरुष दोनों शोक करने लगे। जमीन पर गिरे हुवे घी को पुनः पूंछ कर ले लिया व बाजार में बेंच कर पैसे सीधे किये । पैसे
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