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श्रीता अधिकार ।
(३५५)
४ परिपुणग--सुघरी पक्षी के माला का दृष्टान्त । सुघरी पक्षी के माला से घी गालते समय घी घी निकल जावे परन्तु चींटी प्रमुख कचरा रह जाता है वैसे एकेक श्रोता आचार्य प्रमुख का गुण त्याग करके अवगुण को ग्रहण कर लेता है ऐसे श्रोता छांडवा योग्य हैं।
५ हंस-दूध पानी मिला कर पीने के लिये देने पर जैसे हंस अपनी चोंच से (खटाश के गुण के कारण ) दूध दूध पीवे और पानी नहीं पीवे वैसे विनीत श्रोता गुर्वादिक के गुण ग्रहण करे व अवगुण न लेवे ऐसे श्रोता आदरनीय हैं।
६ महिष-भैसा जैसे पानी पीने के लिये जलाशय में जावे । पानी पीने के लिये जल में प्रथम प्रवेश करे पश्चात् मस्तक प्रमुख के द्वारा पानी ढोलने व मल मूत्र करने के बाद स्वयं पानी पीवे परन्तु शुद्ध जल स्वयं नहीं पीवे अन्य यूथ को भी पीने नहीं देवे वैसे कुशिष्य श्रोता व्याख्यानादिक में क्लेश रूप प्रश्नादिक करके व्याख्यान डोहले, स्वयं शान्ति युक्त सुने नहीं व अन्य सभा जनों को शान्ति से सुनाने देवे नहीं। ऐसे श्रोता छांडने योग्य हैं।
७ मेष-बकरा जैसे पानी पीने को जलाशय प्रमुख में जावे तो किनारे पर ही पांव नीचे नमा कर के पानी पीवे, डोहले नहीं व अन्य यूथ को भी निर्मल जल पीने देवे।
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