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( ३०२)
थोकडा संग्रह।
की। ४ रसेन्द्रिय की लम्बाई जघन्य अांगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट पृथक् ( २ से 8 ) आंगुल की । ५ स्पर्शेन्द्रिय की लम्बाई जघन्य आंगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट हजार योजन से कुछ विशेष ।
४ प्रदेश द्वार पांच इन्द्रिय के अनंत प्रदेश होते हैं ।
अवगाह द्वार पांच इन्द्रियों में से प्रत्येक इन्द्रिय में आकाश प्रदेश असंख्यात असंख्यात अवगाह्य हैं ।
प्रत्येक इन्द्रिय का अनन्त अनन्त कर्कश व भारी स्पर्श है व वैसे ही अनन्त अनन्त हलका व मृदु स्पर्श है।
६ अल्प बहुत्व द्वार १ सर्व से कम चक्षु इन्द्रिय के प्रदेश इससे श्रोत्रन्द्रिय के प्रदेश संख्यात गुणे इससे. घ्राणेन्द्रिय के प्रदेश संख्यात गुणे इससे रसेन्द्रिय के प्रदेश असंख्यात गुणे व इससे स्पर्शेन्द्रिय के प्रदेश संख्यात गुणे ।
आकाश प्रदेश अवगाहना का अल्प बहुत्व
१ सर्व से कम चक्षुइन्द्रिय का अवगाह्या प्राकाश प्रदेश इससे श्रोत्रेन्द्रिय का अवगाहा आकाश प्रदेश संख्यात गुणा इससे घ्राणेन्द्रिय का अवगाह्या आकाश प्रदेश सं. ख्यात गुणा इससे रसेन्द्रिय का अवगाह्या आकाश प्रदेश
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