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थोकडा संग्रह।
- शरीर द्वार १ औदारिक में-जीव का भेद १४, गणस्थानक १४, योग १५, उपयोग १२, लेश्या ६ ।
वैक्रिय में-जीव का भेद ४-दो संज्ञी का, एक असंज्ञी पंचीन्द्रय का अपर्याप्त व बादर एकोन्द्रय का का पाप्त गुणस्थानक ७ प्रथम; योग १२-दो आहारिक का, १ कामेण छोड़ कर; उपयोग १०-केवल के दो छोड़ कर; लेश्या ६।
आहारिक में-जीव का भेद १ संज्ञी का पर्याप्त । गुणस्थानक २-६ व ७ योग १२--दो वैक्रिय व १कार्मण छोड़ कर, उपयोग ७.४ ज्ञान व दर्शन, लेश्या ६।
४ तेजस् कार्मण में जीव का भेद १४, गुणस्थानक १४, योग १५, उपयोग १२, लेश्या ६।। ... औदारिक प्रमुख पांच शरीर में रहे हुवे जीवों का अल्प बहुत्व १ सर्व से कम आहारिक शरीर २ इससे वैक्रिय शरीर असंख्यात गुणा ३ इससे औदारिक शरीर असंख्यात गुणा ४ इससे तैजस व कार्मण शरीरी परस्पर तुल्य व अनन्त गुणे ।
॥ इति बड़ा बासठीया सम्पूर्ण ॥
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