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तेतीस बोल ।
( २४३ )
[ व्यवहारिया ] तथा नगर शेठ ये तीनो अत्यन्त यशस्वी अतः इनकी घात करे तो महा मोहनीय |
१७ अनेक पुरुषों के आश्रय दाता - आधार भूत [ समुद्र में द्वीप समान ] को मारे तो महा मोहनीय | १८ संयम लेने वाले को तथा जिसने संयम ले लिया हो उसे धर्म से भ्रष्ट करे तो महा मोहनीय |
१६ अनन्त ज्ञानी व अनन्त दर्शी ऐसे तीर्थंकर देव का वर्णवाद [ निन्दा ] बोले तो महा मोहनीय |
२० तीर्थकर देव के प्ररूपित न्याय मार्ग का द्वेषी वन कर वर्णवाद बोले, निन्दा करे और शुद्ध मार्ग से लोगों का मन फेरे तो महा मोहनीय |
२१ श्राचार्य उपाध्याय जो सूत्र प्रमुख विनय सीखते हैं--व सिखाते हैं उनकी हिलना निन्दा करे तो महामोहनीय | २२ आचार्य उपाध्याय को सच्चे मन से नहीं श्राराधे तथा अहंकार से भक्ति सेवा नहीं करे तो महा मोहनीय |
२३ अल्पसूत्री हो कर भी शास्त्रार्थ करके अपनी श्लाघा करे स्वाध्याय का वाद करे तो महा मोहनीय |
२४ तपस्वी होकर भी तपस्वी होने का ढोंग रचे ( लोगों को ठगने के लिये ) तो महा मोहनीय |
२५ उपकारार्थ गुरु आदि का तथा स्थविर, ग्लान प्रमुख का शक्ति होने पर भी विनय वैयावच्च नहीं करे ( कहे के इन्होंने मेरी सेवा पहेली नहीं की इस प्रकार वह
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