________________
( २८८ )
थोकडा संग्रह।
हमनुष्यणी में ५ पदवी पावे-१ स्त्री रत्न २ श्राविका ३ समकिन ४ साध्वी ५ केवली।
१० तिर्यंच में ११ पदवी पावे-सात एकेन्द्रिय रत्न ८ गज ६ अश्व १० श्रावक ११ सकिन । . ११ तिर्यचणी में २ पदवी पावे-१ समकित २ श्रावक । १२ संवेदी में २२ पदवी पावे-केवली नहीं।
१३ स्त्री वेद में चार पदवी पावे-१ स्त्री रत्न २ श्राविका ३ समकित ४ साध्वी।
१४ पुरुष वेद में १४ पदवी पावे-सात एकेन्द्रिय रत्न केवली और स्त्री रत्न ये नव छोड़ शेष ( २३-६) १४ पदवी। . १५ अवेदी में ४ पदवी पावे-१ तीर्थकर २ केवली ३ साधु ४ समकित ।
१६ नरक गति में एक पदवी पावे-समकित की।
१७ तिर्यच गति में ११ पदवी पावे-सात एकेन्द्रिय रत्न ८ गज ६ अश्व १० श्रावक ११ समकित ।
१८ मनुष्य गति में १४ पदवी पावे-नव उत्तम पदवी और सात पंचन्द्रिय रत्न में से गज अश्व छोड़ शेष ५ एवं (६+५) १४ पदवो। .. १६ देवगति में एक पदवी पावे-समकित की।
२० आठ कर्म वेदक मे २१ पदवी पावे-तीर्थकर और केवली ये दो नहीं।
।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org