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थोकडा संग्रह।
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लोक इन तीन लोकों में बढ़त वर्षमान परिणाम से अलोक में असंख्याता लोक प्रमाण खएड जानने की शक्ति प्रकट होवे।
४ हाय मानक अवधि ज्ञान-अप्रशस्त लेश्या के परिणाम के कारण, अशुभ ध्यान से व अविशुद्ध चारित्र परिणाम से ( चारित्र की मलिनता से ) वर्ध मानक अवधि ज्ञान की हानि होती है । व कुछ२ घटता जाता है । इसे हाय मानक अवधि ज्ञान कहते हैं।
५प्रति पाति अवधि ज्ञान-जो अवधि ज्ञान प्राप्त हो गया है वो एक समय ही नष्ट हो जाता है । वो जघन्य १ श्राङ्गुल के असख्यातवें भाग २ अङ्गुल के संरख्यातमें भाग ३ वालाग्रं ४ पृथक् वालाग्र : ५. लिम्ब ६ पृथक् लिम्ब ७ यूका (जू) ८ पृथक् जू ६ जब १०. पृथक् जव . ११ प्राङ्गुल १२ पृथक् आङ्गुल १३ पाँव. १४. पृथक् पाँव १५ वेहेत १६ पृथक वेहेत १७ हाथ १८ पृथक् हाथ १६ कुक्षि ( दो हाथ ) २० पृथक् कुदि २.१ धनुष्य २२ पृथक् धनुष्य २३ गाउ २४ पृथक् गाउ. २५ योजन २६ पृथक् योजन २७ मो योजन २८ पृथक् सो योजन २६ सहस्त्र योजन ३० पृथक् सहस्त्र योजन ३१ लक्ष योजन ३२ पृथक् लक्ष योजन ३३ करोड़ योजन ३४ पृथक करोड़ योजन.३५ करोड़ा करोड़ योजन ३६ पृथक् करोड़ा करोड़ योजन इस प्रकार क्षेत्र अवधि
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