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पांच ज्ञान का विवेवन ।
( २७६)
... ४ भाव से ऋजु मति जघन्य अनन्त द्रव्य के भाव (वर्णादि पर्याय ) जाने देखे उत्कृष्ट सर्व भावों के अनंतवें भाग जाने देखे, विपुल मति इस से स्पष्ट निर्णय सहित विशेष अधिक जाने देखे। ___ मनः पर्यव ज्ञानी अढाई द्वीप में रहे हुवे संज्ञी पंचेन्द्रिय के मनोगत भाव जाने देखे अनुमान से जैसे चूँवा देख कर अग्नि का निश्चय होता है वैसे ही मनोगत भाव से देखते हैं।
केवल ज्ञान का वर्णन । केवल ज्ञान के दो भेद-१ भवस्थ केवल ज्ञान २ सिद्ध केवल ज्ञान । भवस्थ केवल ज्ञान के दो भेद १ संयोगी भवस्थ केवल ज्ञान २ अयोगी भवस्थ केवल ज्ञान, इनका विस्तार सूत्र से जानना । सिद्ध केवल ज्ञान के दो भेद-१ अनन्तर सिद्ध केवल ज्ञान २ परंपर सिद्ध केवल ज्ञान विस्तार सूत्र से जानना ज्ञान समुच्चय चार प्रकार का-१ द्रव्य से २ क्षेत्र से ३ काल से ४ भाव से ।
१ द्रव्य से केवल ज्ञानी सर्व रूपी अरूपी
द्रव्य जाने देखे। २ क्षेत्र से केवल ज्ञानी सर्व क्षेत्र (लोकालोक) __ की बात जाने देखे। ३ काल से केवल ज्ञानी सर्व काल की-भूत, भविष्य, वर्तमान-बात जाने देखे ।
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