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थोकडा संग्रह ।
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को कहते हैं। जैसे क, ख, ग प्रमुख सर्वे अक्षर की संज्ञा का ज्ञान, क अक्षर के आकार को देख कर कहे कि यह ख नहीं, ग नहीं इस तरह से सब अक्षरों का ना कह कर कहे कि यह तो क ही है । एवं संस्कृत, प्राकृत, गोड़ी, फारसी, द्राविड़ी, हिन्दी आदि अनेक प्रकार की लिपियों में अनेक प्रकार के अक्षरों का आकार है इनका जो ज्ञान होवे उसे संज्ञा अक्षर श्रुत ज्ञान कहते हैं
२ व्यंजन अक्षर श्रुतः-हस्व, दीर्घ, काना, मात्रा, अनुस्वार प्रमुख की संयोजना करके बोलना व्यंजना. क्षर श्रुत।
३ लब्धि अक्षर श्रतः-इन्द्रियाथे के जानपने की लब्धि से अक्षर का जो ज्ञान होता है वो लब्धि अक्षर श्रुत इसके ६ भेद
१ श्रोत्रेन्द्रिय लब्धि अक्षर श्रुतः-कान से भेरी प्रमुख का शब्द सुनकर कहे कि यह मेरी प्रमुख का शब्द है अतः भेरी प्रमुख अक्षर का ज्ञान श्रोत्रन्द्रिय लब्धि से हुवा इस लिये इसे श्रोत्रेन्द्रिय लब्धि श्रुत कहते हैं ।
२ चतुइन्द्रिय अक्षर श्रुतः-आँख से आम प्रमुख का रूप देख कर कहे कि यह प्रांबा प्रमुख का रूप है अतः आम प्रमुख अक्षर का ज्ञान चक्षु इन्द्रिय लब्धि से हुवा इस लिये इसे चक्षु इन्द्रियं लब्धि श्रुत कहते हैं।
३ घाणेन्द्रिय लब्धि अक्षर श्रतः-नासिका से
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