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(२६८)
थोकडा संग्रह।
लोक के बराबर असंख्यात खण्ड ( भाग विकल्प । भराय उतना क्षेत्र सर्व दिशा व विदिशाओं ( चारों और ) से देखे । अवधि ज्ञान रूपी पदार्थ देखे । मध्यम अनेक भेद हैं. वृद्धि चार प्रकार से होवे१ द्रव्य से २ क्षेत्र से ३ काल से ४ भाव से ।
१ काल से ज्ञान की वृद्धि होवे तब तीन बोल
का ज्ञान बढ़े। २ क्षेत्र से ज्ञान बढ़े तब काल की भजना व
द्रव्य भाव का ज्ञान बढ़े। . ३ द्रव्य से ज्ञान बढ़े तब काल की तथा क्षेत्र
की भजना व भाव की वृद्धि । ४ भाव से ज्ञान बढ़े तो शेष तीन बोल की भजना इसका विस्तार पूर्वक वर्णनः सर्व वस्तुओं में काल का ज्ञान सूक्ष्म है जैसे चोथे आरे में जन्मा हुवा निरोगी बलिष्ट शरीर व वज्रऋषभ नाराच संहनन वाला पुरुष तीक्ष्ण सुई लेकर ४६ पान की बीडी धे, विधते समय एक पान से दूसरे पान में सुई को जाने में असंख्याता समय लग जाता है । काल ऐसा सूक्ष्म होता है। इससे क्षेत्र असंख्यात गुण सूक्ष्म है । जैसे एक प्राङ्गुल जितने क्षेत्र में असंख्यात श्रेणिये है । एक एक श्रेणी में असंख्यात आकाश प्रदेश हैं, एक एक समय में एक एक आकाश प्रदेश का यदि अपहरण होवे तो इतने में असंख्यात कालचक्र बीत
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