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थोकडा संग्रह।
वे व जो बुद्धि फल को उत्पन्न करे उसे औत्पातिका बुद्धि कहते हैं।
२ वैनयिका बुद्धिः -गुरु आदि की विनय भक्ति से जो बुद्धि उत्पन्न होवे व शास्त्र का अर्थ रहस्य समझे वो वैनयिका बुद्धि ।
. ३ कार्मिका (कामीया) बुद्धिः-देखते, लिखते, चितरते, पढते सुनते, सीखते आदि अनेक शिल्प कला श्रादि का अभ्यास करते २ इन में कुशलता प्राप्त करे वो कार्मिका बुद्धि । .
पारिणामिका बुद्धिःजैसे जैसे वय ( उम्र ) की वृद्धि होती जाती है वैसे वैसे बुद्धि बढती जाती है, तथा बहु सूत्री स्थविर प्रत्येक वृद्धादि प्रमुख का पालोचन करता बुद्धि की वृद्धि होवे, जाति स्मरणादि ज्ञान उत्पन्न होने वो पारिणामिका बुद्धि।
श्रत निश्रीत मति ज्ञान के चार भेद १ अवग्रह २ इहा ३ अवाप्त ४ धारणा ।
१ अवग्रह के दो भेद १ अर्थावग्रह २ व्यंजनावग्रह । व्यंजनावग्रह के चार भेदः-१ श्रोत्रन्द्रिय व्यंजनावग्रह २ घ्राणेन्द्रिय व्यंजनावग्रह ३ रसेन्द्रिय व्यंजनावग्रह ४ स्पर्शेन्द्रिय व्यंजनावग्रह
व्यंजनावग्रह-जो पुद्गल इन्द्रियों के सामने होवे उन्हें
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