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(६८)
थोकड! संग्रह।
सातवें नरक की ज०२२ सागर की,उ०३३ सागर की।
दक्षिण दिशा के असुर कुमारके देव की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट एक सागरोपम की । इनकी देवियों की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट ३॥ पल्योपम की । इनके नवनिकाय के देवों की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट १॥ पल्योपम की । इनकी देवियों की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट पौन पल्यकी।
उत्तर दिशा के असुर कुमार के देवों की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की, उत्कृष्ट एक सागर जारी । इनकी देवियों की स्थिति ज, दश हजार वर्ष की, उ. ४॥ पल्य की । नवनिकाय के देव की ज, दश हजार वर्ष उ. देश उणा (कम) दो पल्योपम की, इनकी देवियों की ज. दश हजार वर्ष की उ. देश उणा (कम)एक पल्योपन की।
वाण व्यन्तर के देव की स्थिति ज. दश हजार वर्ष की, उ. एक पल्प की । इनकी देवियों की ज. दरा हजार वर्ष की, उ. अध पल्य की।
चन्द्र देव की स्थिति ज, पाव पल्य की उ.एक पल्य और एक लक्ष वर्ष की। देवियों की स्थिति ज. पाव पल्य की उ. अध पल्य और पचास हजार वर्ष की ।
सूर्य देव की स्थिति ज. पाव पल्य की उ. एक पल्य और एक हजार वर्ष की । देवियों की ज. पाव पल्य की उ, अर्ध पल्य और पांचसो वर्ष की।
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