________________
तेतीस बोल।
( २२७)
करे परन्तु खुद के लिये प्रारम्भ त्याग करने का नियम न होवे । ८ आठवी प्रतिमा जघन्य एक दिन की उत्कृष्ट आठ माह की इसमें प्रारम्भ नहीं करे 8 नववी प्रतिमाउसी प्रकार उत्कृष्ट नव माह की इसमें प्रारम्भ करने का भी नियम करे १० दशवी प्रतिमा-उत्कृष्ट दश माह की। इसमें पूर्वोक्त सवे नियम करे व उपरान्त चुर मुंडन करावे अथवा शिखा राखे कोई यह एक वार पूछने पर तथा वारवार पूछने पर दो भाषा बोलना कल्पे । जाने तो हां कहना कल्पे और न जाने तो नहीं कहना कल्पे ११ इग्यारहवीं प्रतिमा--उत्कृष्ट ११ माहकी--इसमें क्षुर मुंडन करावे अथवा केश लोच करावे, साधु श्रमण समान उपकरण पात्र रजोहरण आदि धारण करे, स्वज्ञाति में गौचरी अर्थ भ्रमण करे और कहे कि मैं प्रतिमा धारी हूं, श्रावक हूं, मिक्षा देवो ? साधु समान उपदेश देवे । एवं सर्व मिला कर ११ प्रतिमा में ५ वर्ष ६ माह काल लागे।
बारह भित्तु की प्रतिमा:-(अभिग्रह रूप)-१ पहेली प्रतिमा एक माह की, इसमें शरीर ऊपर ममतास्नेह भाव नहीं रखे, शरीर की शुश्रुषा नहीं करे कोई मनुष्य देव तिथंच आदि का परिषह उत्पन्न होवे उसे सम परिणाम से सहन करे।
२ एक दाति आहार की, एक दाति जल की लेना कल्पे । यह आहार शुद्ध निदोष; कोई श्रमण, ब्राह्मण,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org