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तेतीस बोल ।
( २३७ )
स्थानक पर आश्रय, बैठक, शय्या करे १८ इरादा पूर्वक मूल, कन्द, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज इन १० सचित्त का आहार करे १६ एक वर्ष के अन्दर दश उदक लेप करे ( नदी उतरे)२० एक वर्ष के अन्दर दश माया का स्थानक सेवे २१ जल से गीले हाथ पात्र, भाजन आदि करके अशनादि देवे तथा लेकर इरादा पूर्वक भोगवे।
बावीश प्रकार का परिषहः-१ क्षुधा २ तृषा ३ शीत ४ ताप ५ डांस-मत्सर ६ अचेल ( वस्त्र रहित ) ७ अरति ८ स्त्री 8 चलन १० एक आसन पर बैठना ११ उपाश्रय १२ आक्रोश १३ वध १४ याचना १५ अलाभ १६ रोग १७ तृण स्पर्श १८ जल ( मेल) १६ सत्कार, पुरस्कार २० प्रज्ञा २१ अज्ञान २२ दर्शन ।।
तेवीश प्रकार के सूत्र कृत सूत्र के अध्ययन:सोलहवें बोल में कहे हुवे मोलह अध्ययन और सात नीचे लिखे हुवे-१ पुंडरीक कमल २ क्रिया स्थानक ३ आहार प्रतिज्ञा ४ प्रत्याख्यान क्रिया ५ अणगार सुत । आर्द्र कुमार ७ उदक (पेढाल सुत)।
चोवीश प्रकार के देवः-१ दश भवन पति २ आठ वाण व्यन्तर ३ पांच ज्योतिषी ४ एक वैमानिक ।
पीश प्रकारे पांच महाव्रत की भावना:पहेले महाव्रत की पांच भावना-१ इर्या समिति
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