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तैतीस बोल।
(२३६)
द्वेष करना नहीं ५ कोमल ( सुंवाला ) सर्श पर राग और कठोर सर्श पर द्वेष करना नहीं।
छवीरा प्रकार के दश.श्रुत स्कंध, वृहत् कल्प और व्यवहार के अध्ययन:-( १ ) दश दशाश्रुत स्कंध के (२) ६ बृहत् कल्प के और ( ३ ) द॥ व्यवहार के स्कंध । सत्तावीश प्रकार के अणगार ( साधु ) के गुण:
१ सर्व प्राणति पात वेरमणं २ सर्व मृषाबाद वेरमणं ३ सर्व अदत्तादान वरमणं ४ सर्व मैथुन वेरमणं ५ सर्व परिग्रह वेरमणं ६ श्रात्रेन्द्रिय निग्रह ७ चनु इन्द्रिय निग्रह ८घ्राणेन्द्रिय निग्रह 8 रसेन्द्रिय निग्रह १० स्पर्शन्द्रिय निग्रह ११ काध विजय १२ मान विजय १३ माया विजय १४ लोभ विजय १५ भाव सत्य १६ कर्ण सत्य १७ योग सत्य १८ क्षमा १६ वैराग्य २८ मन समा धारणा २१वचन समा धारणता २२ काय समा धारणता २३ज्ञान २४दर्शन २५ चारित्र २६ वेदना सहिष्णुता २७ मरण सहिष्णुता । - अठावीस प्रकार का प्राचार कल्पः-१ माह (मासीक) प्रायश्चित २ माह और पांच दिन ३ माह और दश दिन ४ माह और पन्द्रह दिन ५ माह और वीश दिन ६ माह और पञ्चिश दिन ७ दो माह ८ दो माह और पांच दिनं ६ दो माह और दश दिन १० दो माह और पन्द्रह दिन ११ दो माह और वीस दिन १२ दा माह और पच्चि
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