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तेतीस बोल।
( २२६)
रहे और न जानते होवे तो दो रात्रि रहे इस के उपरान्त रहे तो छेद तथा परिहार तप जितनी रात्रि तक रहे उतने दिन का प्रायश्चित करे।
६ प्रतिमा धारी चार प्रकार से बोले १ याचना करने के समय २ पंथ प्रमुख पूछने के समय ३ आज्ञा मांगने के समय ४ प्रश्नादिक का उत्तर देते माय ।
७ प्रतिमा धरी साधु को तीन प्रकार के स्थानक पर ठहरना अथवा प्रति लेखन करना कल्पे-१ बीचे का बंगला २ श्मशान की छतरी ३ वृक्ष के नीचे।
८ प्रतिमा धारी साधु तीन स्थान पर याचना करे । 8 इन तीन प्रकार के स्थानक के अन्दर वास करे ।
१० प्रतिमा धारी साधु को तीन प्रकार की शय्या कल्पे १ पृथ्वी (शिला) रूप २ काष्ट रूप ३ तण रूप ।
११ इन तीन प्रकार की शय्या की याचना करना कल्प।
१२ इन तीन प्रकार की शय्या का भोग करना कल्प।
१३ प्रतिमा धारी साधु जिस स्थानक में रहते होवे उस में यदि कोई स्त्री प्रमुख आवे तो स्त्री के भय से बाहर निकले नहीं, यदि कोई दूसरा बाहर निकाले तो स्वयं इयाँ समिति शोध कर निकले ।
१४ प्रतिमा धारी साधु जिस घर में रहते होवे वहां यदि कोई अनि लगाव तो भय से बाहर निकले नहीं, यदि
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