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दश द्वार के जीव स्थानक ।
(१८६)
चंदो वरागा, सुरोवरागा, चंदो पडिवेसा सुरोपडिवैसा । पडिचंदा पडिसुरा,इन्द धणु उदग,मका,कविहंसा अमोहे॥३॥ बासा, वासहरा चेव, गाम, घर णगरा । . पयल पायाल भवणा अ, निरम पासाए ॥४॥ पुढ विसत्त कप्पो बार, गेविज्य अणुत्तर सिद्धि । पम्माणु पोग्गल दोपएसी, जाव अपंत प्पएसी खघे ॥५॥
अथः पुरानी शराब, पुराना गुड़, पुराना घी पुराने चांवल, बादल, बादल की रेखा, संध्या का वर्षे गंधर्व के चिह्न, नगर के चिह्न (१) १ उन्का पात २ दिशि दाल ३ गर्जना ४ विद्युत ५ निर्घात (काटक ) ६ शुक्ल पक्ष का बालचन्द्र ७ आकाश में यच का चिह्न ८ कृष्ण धूयर ६ उजल धूयर १० रजोधात (२) चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, चन्द्र का जलकुण्ड, सूर्य जल कुएड एक ही समय दो चान्द दो सूर्य दीखाई देवे, इन्द्र धनुष्य जल पूर्ण बादल, मच्छ के चिह्न, बन्दर के चिह्न, हंस का चिह्न, और बाण का चिह्न ( ३ ) क्षेत्र, वर्ष धर, पर्वत, ग्राम, घर नगर प्रासाद ( महेल ), पाताल, कलश, भवन पति के भवन नरक वासे, (४) सात पृथ्वी, कल्प (देवलोकं ) बारह, नव ग्रीयवेक, पांच अनुत्तर विमान, सिद्ध शिला,परमाणु पुद्गल दो प्रदेशी स्कन्ध यावत् अनंत प्रदेशी कंध । ( ५ ) इन बोलों में पुद्गल जावे तथा आवे, गले
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