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थोकडा संग्रह।
गी का एवं २६ भांगे विस्तार श्री अनुयोग द्वार सिद्धान्त से जानना । देखो पृष्ठ १६०, १६१. १६२ ।
१४ गुणस्थान पर १० क्षेपक द्वार . १ हेतु द्वार:-२५ कषाय, १५ योग एवं ४० और ६ काय, ५ इन्द्रिय, १ मन एवं १२ अव्रत (४०+१२= ५२), मिथ्यात्व एवं सर्व ५७ हेतु। पहेले गुणस्थाने ५५ हेतु (आहारिक के २ छोड़कर ) दुसरे गुणस्थाने ५० हेतु ( ५५ में से ५ मिथ्यात्व के छोड़ना ) तीसरे गुण० ४३ हेतु ( ५७ में से-अनन्तानुबंधी के चार, औदारिक का मिश्र १ वैक्रिय का मिश्र १, आहारिक के २, कार्मण का १, मिथ्यात्व ५, एवं १४ छोड़ना) चोथे गुण० ४६ हेतु (४३ तो ऊपर के और औदारिक का मिश्र १, वैक्रिय का मिश्र १, कार्मण काययोग एवं (४३+३=४६) पांचवें गुण० ४० हेतु (४६ के ऊपर के उसमें से अप्रत्याख्यानी की चोकड़ी. बस काय का अव्रत और कार्मण काय योग ये ६ घटाना शेष (४६-६-४० हेतु ) छठे गुण० २७ हेतु (४० में से प्रत्याख्यानी की चोकड़ी पांच स्थावर का अवत, पांच इन्द्रिय का अव्रत और १ मन का अव्रत एवं १५ घटाना शेष २५ रहे और २ आहारिक के एवं २७ हेतु) सातवें गुण०२४ हेतु (२७ में से-औदा. रिक मिश्र, वैक्रिय मिश्र, आहारिक मिश्र ये तीन घटाना शेष २४ हेतु ) आठवें गुण० २२ हतु ( २४ में से वैक्रिय
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