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र८६)
थाकडा सप्रहा
२ अजीव औदयिक के १४ भेद १ औदारिक शरीर २ औदारिक शरीर से परिणम ने वाले पुद्गल ३ वैक्रिय शरीर ४ वैक्रिय शरीर से परिणम ने वाले पुद्गल ५ श्राहारिक शरीर ६आहारिक शरीर से परिणम ने वाले पुद्गल ७ तेजस् शरीर ८ तैजम् शरीर से परिणम ने वाले पुद्गल ह कार्मण शरीर १० कार्मण शरीर से परिणम ने वाले पुद्गल ११ वर्ण १२ गन्ध १३ रस १४ स्पर्श।
२ औप शामिक भाव के दो भेदः-औपश. मिक और २ औपशमिक निष्पन्न । मोहनीय कर्म की जो २८ प्रकृति उपशमाई वो औपशमिक और मोहनीय कर्म उपशम करने से जोर पदार्थ निपजे वो औपशमिक निष्पन्न।
उपशमाने ( उपशान्त करने ) से जो २ पदार्थ निपजे उसपर गाथा (अर्थ सहित ):कसाय पेजदोसे, दंसण मोह णीजे चरित्त मोहणीजे,।
सम्मत्त चरीत्त लद्धी, छउ मथ्थे वीयरागे य ॥
अर्थः कषाय चार, ४, ५ राग ६ दोष ७ दर्शन मोहनीय ८ चारित्र मोहनीय इन आठ की उपशमता ६समकित तथा उपशम चारित्र की लब्धी की प्राप्ति होवे १० छमस्थपना ११ यथाख्यात चारित्र पना ये ११ बोल उपशम से पावे इसी प्रकार ये ११ बोल उपशम निष्पन्न से भी पावे।
३ क्षायिक भावना के दो भेदः-१ क्षायिक २
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