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थोकड! संग्रह।
का उदय-ऊपर कहे हुवे सात क्षयोपशम में एक मिथ्या दर्शन वत्तिया क्रिया नहीं लगे २१ के उदय में २३ संपराय क्रिया लगे। . (५) देश व्रती जीव स्थानक में मोहनीय कर्म की२८ प्रकृति में से ११ का क्षयोपशम व १७ का उदय १ अनन्तानु बंधी क्रोध २ मान ३ माया ४ लोभ ५ समकित मोहनीय ६ मिथ्यात्व मोहनीय ७ मिश्र मोहनीय ८ अप्रत्याख्यानी क्रोध ह मान १० माया ११ लोभ इन ११ का क्षयोपशम व उक्त ११ बोल छोड़ कर शेष ( २८-११) १७ का उदय, ११ क्षयोपशम में मिथ्यात्व दर्शन वत्तिया क्रिया व अप्रत्याख्यान क्रिया ये दो क्रिया नहीं लगे १७ के उदय में २२ संपराय क्रिया लगे।
- (६) प्रमत्त संयति जीव स्थानक में मोहनीय कर्म की २८ प्रकृति में से १५ का क्षयोपशम १३ का उदय १ अनन्तानुबंधी क्रोध २ मान ३ माया ४ लोभ ५ समकित मोहनीय ६ मिथ्यात्व मोहनीय ७ मिश्र मोहनीय ८ अप्रत्याख्यानी क्रोध ६ मान १० माया ११ लोभ १२ प्रत्याख्यानी क्रोध १३ मान १४ माया १५ लोभ इन १५ का क्षयोपशम उक्त १५ बोल छोड़ कर शेष १३ बोल का उदय १५ के क्षयोपशम में २२ संपराय क्रिया नहीं लगे १३ के उदय में १ आरंभिया २ माया वत्तिया ये दो क्रिया लगे छठे जीव स्थानक आरंभ नहीं करे परन्तु घृत के कुंभवत् ।
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