________________
(१३८ )
थोकडा सग्रह।
से प्रवर्ताचे २ भाषा की सरलता-वचन के योग अच्छे प्रकार से प्रवर्ताव ३ भाव की सरलता-मन के योग अच्छे प्रकार से प्रवावे ४ अक्लेश कारी प्रवर्तन खोटा व झूठा विवाद नहीं करे।
अशुभ नाम कर्म चार प्रकारे बांधे-१ काया की वक्रता २ भाषा की वक्रता ३ भाव की वक्रता ४ क्लेशकारी प्रवतेन ।
॥नाम कर्म २८ प्रकारे भोगवे ॥ शुभ नाम कर्म १४ प्रकारे भोगवे-१ इष्ट शब्द २ इष्ट रूप ३ इष्ट गंध ४ इष्ट रस ५ इष्ट स्पर्श ६ इष्ट गति ७ इष्ट स्थिति ८ इष्ट लावण्य है इष्ट यशो कीर्ति १० इष्ट उत्थान, कर्म बल वीर्य पुरुषाकार पराक्रम ११ इष्ट स्वर १२ कांत स्वर १३ प्रिय स्वर १४ मनोज्ञ स्वर ।
अशुभ नाम कर्म १४ प्रकारे भोगवे-१ अनिष्ट शब्द २ अनिष्ट रूप ३ अनिष्ट गंध ४ अनिष्ट रस ५ अनिष्ट स्पर्श ६ अनिष्ट गति ७ अनिष्ट स्थिति ८ अनिष्ट लावण्य ६ अनिष्ट यशो कीर्ति १० अनिष्ट उत्थान, कर्म बल वीय पुरुषाकार पराक्रम ११ हीन स्वर १२ दीन स्वर १३ अनिष्ट स्वर १४ अकान्त स्वर।
नाम कर्म की स्थिति जघन्य आठ मुहूर्त की उत्कृष्ट वीश करोडा करोड़ी सागरोपम की,अबाधा काल दो हजार वर्ष का।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org