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दश द्वार के जीव स्थानक ।
(१७५)
उत्कृष्ट श्रावक की ११ प्रतिमा आदरे उसे देश व्रती जीव स्थानक कहते हैं। शाख सूत्र भगवती शतक सतरवां उद्देशा
६ प्रमत्त संयति जीव स्थानक का लक्षण:-जो समकित सहित सर्व व्रत आदरे, जो (अप्रमत्त जीवस्थानक के संज्वलन के चार कषाय है उन से ) प्र, अर्थात् विशेष मत्त कहेता माता ( मस्त ) होवे संज्वलन का क्रोध मान माया लोभ उसे प्रमत्त संयति जीवस्थानक वाहते हैं परंतु प्रमादी नहीं कहते हैं।
७ अप्रमत्त संयति जीव स्थानक का लक्षण:जो अ, कहेता नहीं, प्र, कहेता विशेष, मत्त, कहेता मातासंज्वलन का क्रोध मान माया लोभ एवं हटे जीवस्थ नक से जो कुछ पतला हो उसे अप्रमत संयति जीवस्थानक कहते हैं।
८निवर्ती बादर जीव स्थानक का लक्षणः-जो निवर्ती- कहेता निवर्ता ( दूर, अलग ) है संज्वलन का क्रोध तथा मान से उसे निवर्ती बादर जीवस्थानक कहते हैं।
६ अनिवर्ती बादर जीवस्थानक का लक्षण:अनिवर्ती कहेता नहीं निवर्ता संज्वलन के लोभ से उसे अनिवर्ती बादर जीवस्थानक कहते हैं ।
. १० सूक्ष्म संपराय जीवस्थानक का लक्षण:जहां थोड़ा सा संज्वलन का लोभ का उदय है वो सूक्ष्म संपराय जीवस्थानक कहलाता है।
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