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( १६८ )
थोकडा संग्रह |
धातु रहेगी, व चर्म की मोहरे चलेगी जिसके पास ये रहेंगे वे श्रीमन्त ( धनवान ) कहलायेंगे | इस आरे में मनुष्यों को उपवास मास खमण समान लगेगा |
[ इस आरे में ज्ञान सर्व विच्छेद हो जावेगा केवल दशवैकालिक सूत्र के चार अध्ययन रहेंगे । कोई कोई मानते हैं कि १ दशवैकालिक २ उत्तराध्ययन ३ आचारांग ४ आवश्यक ये चार सूत्र रहेंगे । इस में चार जीव एकावतारी होंगे - १ दुपसह नामक आचार्य २ फाल्गुनी नामक साध्वी ३ जीनदास श्रावक ४ नाग श्री श्राविका ये सर्व २००४ पांचवे आरे के अन्त तक श्री महावीर स्वामी के युगंधर जानना । ]
आषाढ सुदि १५ को शकेन्द्र का श्रासन चलायमान होवेगा तब शकेन्द्र उपयोग द्वारा मालूम करेंगे कि आज पांचवा श्रारा समाप्त होकर छट्टा चारा लगेगा ऐसा जान कर शकेन्द्र वेंगे व श्राकर चार जीवों को कहेंगे कि कल छहा आर लगेगा अतः आलोचना व प्रतिक्रमण द्वारा शुद्ध बनो अनन्तर ऐसा सुन कर वो चारों जीव सबों को क्षमा कर, निशल्य हो कर संथारा करेंगे। उस समय संवर्तक महासंवर्तक नामक हवा चलेगी जिससे पर्वत, गढ़, कोट, कुर्वे, बावडीयें आदि सर्व स्थानक नष्ट होजावेंगे केवल १ वैताढ्य पर्वत २ गंगा नदी ३ सिंधु नदी ४ ऋषभ कुट ५ लवण की खाडी ये पांच स्थानक बच रहेंगे
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