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थोकडा संग्रह।
भूमि और १ जलचर एवं १६ बोल इसमें स्त्री मर कर नहीं पाती है केवल पुरुष तथा नपुसंक मरकर आते हैं। गति दश बोल की--पांच संज्ञी तियेच का पर्याप्ता और अपर्याप्त
२५ भवन पति और २६ वाण व्यन्तर इन ५१ जाति के देवताओं में आगति १११, बोल की-१०१, संज्ञी मनुष्य का पर्याप्ता, पांच संज्ञी तिर्यंच पंचन्द्रिय और पांच असंही तिथंच एवं १११ का पर्याप्ता । गति ४६ बोल की-१५ कर्म भूमि, पांच मंज्ञी तिथंच, बादर पृथ्वी काय, बादर अपकाय, बादर वनस्पति काय एवं तेवीश का पर्याप्ता और अपर्याप्ता।
ज्योतिषी और पहेला देवलोक में५० बोल की प्रागति१५ कर्म भूमि, ३० अकर्म भूमि, ५ संज्ञी तिथंच एवं ५० का पर्याप्ता । गति ४६ बोल की भवनपति समान ।।
दूसरा देवलोक में ४० बोल की आगति-१३ कर्म भूमि, पांच संज्ञी तिथच ये २० और ३० अकर्म भूमि में से पांच हेम वय और पांच हिरण वय छोड़ शेष २० अकर्म भूमि एवं ४० बोल का पर्याप्ता । गति ४६ बोल की भवन पति समान ।
पहेला किल्विषी में ३० बोल की प्रागति-१५कर्म भूमि, ५ संझी तियेच, ५ देव कुरू, ५ उत्तर कुरू एवं ३० का पयोप्ता । गति ४६ बोल की भवन पति समान।
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