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थोकडा सग्रह।
कल्याणीक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुवे १ पहेला कल्याणीक-दश प्राणत देवलोक से चव कर देवानन्दी की कोख में जब उत्पन्न हुवं तब २ दूसरे कल्याणीक में गर्भ का हरण हुवा ३ तीसरे कल्याणीक में जन्म हुवा ४ चौथे कल्याणीक में दीक्षा ग्रहण की और पांचवें कल्याणीक में केवल ज्ञान प्राप्त हुवा । स्वाति नक्षत्र में भगवन्त मोक्ष पधारे । इस बारे में गति पांच जानना। श्री महावीर स्वामी मोक्ष पधारे उसी समय गौतम स्वामी को केवल ज्ञान उत्पन्न हुवा व बारह वर्ष पर्यन्त केवल प्रवज्यो पाल कर गौतम स्वामी मोक्ष पधारे । उसी समय श्री सुधर्मा स्वामी को केवल ज्ञान उत्पन्न हुवा जो आठ वर्ष तक केवल प्रवर्ध्या पालकर मोक्ष पधारे । उसी समय श्री जम्बू स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्त हुवा। इन्होंने ४४ वर्ष तक केवल प्रवा पाली व पश्चात् मोक्ष पधारे एवं सर्व मिलाकर श्री महावीर स्वामी के मोक्ष पधारने बाद ६४ वर्ष तक केवल ज्ञान रहा पश्चात् विच्छेद ( नष्ट ) गया । इस बारे में जन्मे हुवे को पांचवे बारे में मोक्ष मिल सकता है परन्तु पांचवें भारे में जन्मे हुवे को पांचवें आरे में मोक्ष नहीं मिल सकता। श्री जम्बू स्वामी के मोक्ष पधारने के बाद दश बोल विच्छेद हुवे-१परम अवधि ज्ञान २ मनः पयव ज्ञान ३ केवल ज्ञान ४ परिहार विशुद्ध चारित्र ५ सूक्ष्म संपराय चारित्र ६ यथारख्यात
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