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( १३० )
थोकडा संग्रह |
३ जीवाणु कंपियाए ४ सत्ताणु कंपियाए ५ बहूणं पाणा भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुखणीयाए ६ असोयखियाए ७ प्रभुरणियाए ८ टीप्पणियाए ६ अपीदृणियाए १० परितावणियाए ।
| अशाता वेदनीय बारह प्रकारे बांधे ।
११ पर दुखखियाए १२ पर सोयशियाए १३ पर झुरखियाए१४परटीपखियाए १५ परपीदृणियाए १६परपरिता वणिया १७बहु पायाणं भूषाणं जीवाणं सत्ताणं दुखणि याए १८ सोणिया १६ कुरणियाए २० टीप्पणियाए २१ पीणियाए २२ परितावणियाए ।
वेदनीय कर्म सोलह प्रकारे भोगवे उक्त सोलह प्रकृति अनुसार ।
वेदनीय कर्म की स्थिति - शाता वेदनीय की स्थिति जघन्य दो समय की उत्कृष्ट पन्द्रह करोडा करोड़ी सागरोपम की, अबाधा काल करे तो जघन्य अन्तर मुहूर्त का उत्कृष्ट १|| हजार वर्ष का ।
३ जीव अनुकम्पा ४ सत्त्व अनुकम्पा ५ बहु प्राणी भूत जीव सत्व को दुख देना नहीं ६ शोक करना नहीं ७ भुरणा नहीं टपक २ सु ( अश्रुपात) गिराना नहीं ६ पीटना नहीं और परितापना (पश्चाताप ) करना नहीं ।
११ पर (दुसरा) को दुख देना १२ पर को शोक कराना १३ पर को कुराना १४ पर से प्रांसु गिरवाना १५ पर को पीटना १६ पर को परिताप देना १७ बहु प्राणी भूत जीव सत्वों को दुख देना १८शोक करना १६ कुरना २० टपक २ श्रांसु गिराना २१ पीटना २२ परितापना करना ।
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