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चोवीस दण्डक ।
वचन योग ६ असत्य वचन योग ७ मिश्र वचन योग ८ व्यवहार वचन योग है औदारिक शरीर काय योग १० औदारिक मिश्र शरीर काय योग ११ कार्मण शरीर काय योग ।
१७ उपयोग द्वार
* पांच देव कुरु, पांच उत्तर कुरु में उपयोग ६१ मति ज्ञान २ श्रुत ज्ञान ३ मति अज्ञान ४ श्रुत अज्ञान ५ चक्षु दर्शन ६ अचक्षु दर्शन । शेष वीश अकर्म भूमि व छप्पन्न अन्तर द्वीप में उपयोग ४: - १ मति अज्ञान २ श्रुत अज्ञान ३ चतु दर्शन ४ अचक्षु दर्शन ।
१८ आहार द्वार
युगलियों में आहार तीन प्रकार का ।
१६ उत्पत्ति द्वार व २२ चवन द्वार तीश अकर्म भूमि में दो दण्डक का आवे १ मनुष्य २ तिर्यच और १३ दण्डक में जावेदश भवन पति के दश दण्डक, एक वाण व्यन्तर का एक ज्योतिषी का, एक वैमानिक का - एवं तेरह दण्डक ।
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छप्पन्न अन्तर द्वीप में दो दण्डक का वे मनुष्य और तिर्यच और इग्यारह दण्डक में जावे १० भवन पति और एक वाण व्यन्तर एवं इग्यारह में जावे ।
* ३० कर्म भूमि में ६ उपयोग (२ ज्ञान, २ अज्ञान, २ दर्शन ) और ५६ अन्तर द्वीप में ४ उपयोग ( २ अज्ञान, २ दर्शन ) ही होते हैं ऐसा अन्य ग्रंथो में वर्णन है ।
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