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थोकडा संग्रह।
११ वेद ,, -इनमें वेद दो १ स्त्री वेद, २ पुरुष वेद । १२ पर्याप्तिद्वार:--इनमें पर्याप्ति ६, अपर्याप्ति ६ । १३ दृष्टि द्वार:- पांच देव कुरू, पांच उत्तर कुरू
में दृष्टि दो-१ सम्यग् दृष्टि २
मिथ्यात्व दृष्टि। पांच हरिवास पांच रम्यक वास, पांच हेमवय, पांच हिरण्य वय-इन वीश अकर्मभूमि में व छप्पन्न अन्तरद्वीप में दृष्टि १ मिथ्यात्व दृष्टि । १४ दर्शन द्वारः-इनमें दर्शन दो १ चक्षु दर्शन २
अचक्षु दर्शन। १५ ज्ञान द्वारः-* पांच देव कुरू, पांच उत्तर कुरू
में दो ज्ञान--मति और श्रुत ज्ञान और २ अज्ञान-मति अज्ञान और श्रुत अज्ञान, शेष वीश अकर्म भूमि व छप्पन्न अन्तर द्वीप में दो अज्ञान १ मति अज्ञान और २ श्रुत अज्ञान !
१६ योग द्वार इन में योग ११:-१ सत्य मन योग २ असत्य मन योग ३ मिश्र मन योग४ व्यवहार मन योग ५ सत्य
* ३० अकर्म भूमि में २ दृष्टि २ ज्ञान तथा २ अज्ञान होते हैं और ५६ अन्तर द्वीप में ही १ मिथ्यात्व दृष्टि व २ अज्ञान होते हैं ऐसा कई ग्रंथोमें वर्णन आता है।
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