Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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__ भगवतीसूत्रे पदोदेशकः, अष्टाविंशतितमस्य आहारपदस्य प्रथम उद्देशक इत्यर्थः,तथा भणितव्यम्= तेनैव प्रकारेण इहापि वक्तव्यम् । तत्र नारकाणामाहारविषये बहूनि द्वाराणि प्रदर्शितानि तेषां संग्रहार्थ स्थिति-प्राणनस्वरूपद्वारद्वयप्रदर्शनपूर्वकं गायां पठति'ठिई' इत्यादि। नारकजीवानां स्थितिर्वक्तव्या, उच्छवास-निःश्वासौ च वक्तव्यौ, एतयोः प्ररूपणं पूर्वप्रश्नोत्तरवाक्ये कृतम्, ततश्चाहारविषयको विधिवक्तव्यः किं भदन्त ! नारका आहारार्थिनो भवन्ति ? हे गौतम ! नारका आहारार्थिनो भवन्तीति लोप हो गया है इसलिये " आहारोद्देशक" से " आहारपदोद्देशक" ऐसा समझना चाहिये । तात्पर्य कहने का यह है कि प्रज्ञापना सूत्र का आहारपद अट्ठाईसवां है । इसके दो उद्देशकों में से प्रथम आहारोदेशक है। उसमें इनके आहारविषय का वर्णन अनेक द्वारों में किया गया है। उन्हीं द्वारों के संग्रह के लिये स्थिति, प्राणनरूप दो द्वारों को पहले दिखाते हुए “ठिई उस्सासाऽऽहारे" यह गाथा कही गई है। इसमें नारक जीवोंकी स्थिति, उच्छ्वास निःश्वास, आहारविषयक विधि
आदि सबका वर्णन किया गया है, इनमें नारकों की स्थिति और उनका श्वासोच्छ्वास, इन दो पदों की प्ररूपणा तो पूर्वप्रश्नोत्तर वाक्य में कही जा चुकी है। अब रही आहारविषयक की यात-सो वह भी इससे प्रदर्शित कर दी गई है। इस विषय में पहले " णेरइयाणं भंते ! आहारट्ठी" ऐसा प्रश्न किया गया है ? और उसका उत्तर “जहा पण्णवणाए पढमए आहारुद्देसए, तहा भाणियव्वं" इस सूत्र द्वारा दिया गया है। तात्पर्य कहने का यह है कि "क्या नारक जीवों को थ४ गयो छ,तथी 'आहारोद्देशक थी 'आहारपदोद्देशक' से समन्यु नये. तात्पय એ છે કે પ્રજ્ઞાપના સૂત્રનું અઠ્યાવીસમું પદ “આહારપદ છે. તેના બે ઉદેશકોમાંથી પહેલું આહાદેશક છે. તેના અનેક દ્વારમાં તેમના આહાર સંબંધી વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. એજ દ્વારેના સંગ્રહને માટે સ્થિતિ અને પ્રાણનરૂપ છે द्वाशने पडसा मतावा “ठिई उस्ससाऽऽहारे" 24t ouथा ४डी छ. तमा ना२४
વોની સ્થિતિ (આયુકાળ), ઉચ્છવાસ નિશ્વાસ, આહારવિષયક વિધિ વગેરે બાબતોનું કથન કર્યું છે. નારકેની સ્થિતિ અને શ્વાસોચ્છવાસ, એ બે વિષયની પ્રરૂપણ તે આગળના પ્રશ્નોત્તર વાક્યોમાં થઈ ગઈ છે. હવે જે આહાર વિશેની વાત બાકી રહી છે તેનું પણ તેમાં કથન કર્યું છે. આ વિષયને અનુલક્ષીને ५i “णेराइयाण भाते ! आहारट्ठी” से प्रश्न पूछये। छ. सन . णाए पढमए आहारुद्देसए, तहा भणियवं" मा सूत्र द्वारा तेने उत्तर अपायो.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧