Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 838
________________ प्रमेयचन्द्रिकाठीका श० १७०५ सू५ शर्करादिशेषपृथिवीलेश्यावर्णनम् ८१५ वत् शर्करामभापृथिव्यादावपि तथैव विचारः करणीय इत्यतिदेशेन पृथिव्यन्तरमपि दर्शयन्नाह-एव'मित्यादि, ' एवं सत्तवि पुढवीओ नायनाओ' एवं सप्तापि पृथिव्यो ज्ञातव्याः, रत्नप्रभापृथिवीवदितराः शर्कराप्रभाद्या अपि ज्ञातव्याः। सर्वसादृश्येऽपि विशेषं दर्शयति-'णाणत्तं लेस्सासु' नानात्वं लेश्यासु, रत्नपभावदन्यास्वपि पृथिवीषु आलापाः कर्त्तव्याः किन्तु लेश्यासु विशेषः प्रत्येकपृथिवीषु लेश्यानां भिन्नत्वात् । कस्यां पृथिव्यां का लेश्या ? इत्यर्थे गाथामाह-'गाहा' गाथा, अस्या अर्थश्वेत्थम्-'काऊ य दोसु' कापोती च द्वयोः, द्वयोः पृथिव्योः पृथिव्यादिकों का ऐसा ही प्रकरण प्रकट करने के लिये सूत्रकार कहते हैं कि ( एवं सत्त वि पुढवीओ नेयव्वाओ) इसी तरह से अर्थात् प्रथम पृथिवी के नारक जीवों का जैसा कथन यह लेश्या आदि के संबंध में किया गया है उसी तरह से द्वितीय आदि ६ पृथिवियों के नारक जीवो में भी सम्यग्दृष्टि आदि मूत्र संबंधी विषयों का कथन कर लेना चाहिये। (णाणत्तं लेस्सासु)प्रथम पृथिवी के नारक जीवों की अपेक्षा यदि द्विती यादि पृथिवियों के नारक जीवों के कथन में भिन्नता है तो वह लेश्या को लेकर है। यही बात " णाणत्तं लेस्सासु" इस मूत्र द्वारा समझाई गई है । तात्पर्य कहने का यह है कि रत्नप्रभा पृथिवी की तरह ही अन्य ६ पृथिवियों में भी आलापक कहना चाहिये-परन्तु प्रत्येक पृथिवी में लेश्याओं की भिन्नता के कारण लेश्याओं में भिन्नता है सा किस पृथिवी में कौन सी लेश्या है यही बात इस गाथा द्वारा प्रकट की जा रही हैरत्नप्रभा और शर्कराप्रभा इन दो नरकों के जो नारक हैं उनके कापोतકર જોઈએ તેથી બીજી પૃથ્વી વગેરેનું એવું જે પ્રકરણ પ્રકટ કરવાને માટે सूत्रा२ ४ छ -( एवं सत्त वि पुढवीओ नेयवाओ) मे०८ प्रमाणे मेटते કે પહેલી પૃથ્વીના નારક જીના સંબંધમાં લશ્યા વગેરેના વિષયમાં જેવું કથન કરવામાં આવ્યું છે એવું જ કથન બીજીથી લઈને સાતમી પૃથ્વી સુધીના ना२४ ७वाना संघमा ५ सभा. " णाणत्तं लेस्सासु" पडसी वीना નારક છ કરતાં બીજી ત્રીજી વગેરે પૃથ્વીના નારક જીના કથનમાં सेश्याना विषयमा मात्र भिन्नता २७सी छे से वात "णाणत्तं लेस्सासु" એ વડે સમજાવવામાં આવેલ છે. તાત્પર્ય એ છે કે રત્નપ્રભા પૃથ્વીના નારક વિષે જેવા આલાપકે કહ્યા છે એવા આલાપ બીજી છએ પૃથ્વી વિષે પણ કહેવાં જોઈએ, પરંતુ પ્રત્યેક પૃથ્વીમાં લેશ્યાઓની ભિન્નતા છે. કયી પૃથ્વીમાં થી લશ્યા છે તે નીચેની ગાથા વડે બતાવ્યું છે. રત્નપ્રભા અને શર્કરા પ્રભાના શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

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