Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 842
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श०१७०५सू०६ असुरकुमारादीनां स्थितिस्थानादिवर्णनम् ८१९ ___टीका-'चउसट्ठीए णं भंते ' चतुष्षष्टयां खलु भदन्त ! 'असुरकुमारावाससयसहस्सेसु' असुरकुमारावासशतसहस्रेषु ' एगमेगंसि' एकैकस्मिन् प्रत्येकस्मिन् इत्यर्थः, 'असुरकुमारावासंसि' असुरकुमारावासे 'असुरकुमाराण' असुरकुमाराणाम् देवानाम् 'केवइया' कियंति कियत्पमाणकानि 'ठिइट्टाणा' स्थितिस्थानानि, आयु. विभागरूपाणि 'पन्नत्ता' प्रज्ञप्तानि ? । उत्तरयति भगवान्–'गोयमा' इत्यादि , 'गोयमा' हे गौतम ! 'असंखेज्जा ठिइट्ठाणा पन्नत्ता' असंख्येयानि स्थितिस्थानानि प्रज्ञप्तानि, तत्र 'जहणिया ठिई जहा नेरइयाणं तहा' जघन्या स्थितियथा नैरयिकाणां तथाऽसुरकुमाराणामपि तद्यथा जघन्या स्थितिर्दशसहस्रवर्षपरिमिता, सापि एकसमयाधिका द्विसमयाधिका व्यादिसमयाधिकेत्येवंरूपेण समयानामकार सूत्र कहते हैं-" चउमट्टीए णं भंते ! इत्यादि । (चउसठ्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु) हे भदन्त ! चौसठ लाख असुरकुमारावासों में से ( एगमेगंसि ) एक एक ( असुरकुमारावासंसि) असुरकुमारावास में रहने वाले ( असुरकुमाराणं) असुरकुमारों के ( केवइया ठिइटाणा) कितने स्थितिस्थान (पन्नत्ता) कहे गये हैं। उसका उत्तर देते हुए भगवान् कहते हैं कि- (गोयमा) हे गौतम ! ( असंखेज्जा ठिइट्ठाणा पन्नत्ता) उनके असंख्यात स्थितिस्थान कहे गये हैं। (जहणिया ठिई जहा नेरइयाणं तहा) इनमें जघन्य स्थिति जैसी नारक जीवों की कही गई है वैसे ही असुरकुमारों की जाननी चाहिये । वह इस प्रकार से-जघन्य स्थिति दश हजार वर्ष की यहां होती है सो वह भी एक समय अधिक, दो समय अधिक, तीन सुभा२ वगेरेना स्थितिस्थानानि नि३५५१ ४२वाने माटे सूत्र ४ छ.-. चउसद्वोए ण भंते !" इत्यादि। (चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु) भगवन् । १४ सय मसुरभारावासोमानी (एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि) प्रत्ये असुराभारावासमा २ना। "असुरकुमाराणं केवया ठिइदाणा पन्नत्ता ? " ससुभान સ્થિતિસ્થાન કહ્યાં છે? उत्त२-" गोयमा !" गौतम ! " असंखेज्जा ठिइटाणा पन्नत्ता " तमना २ससच्यात स्थितिस्थान ४i छ. “ जहणिया ठिई जहा नेरइयाण तहा" જેવી નારક જીવની જઘન્ય સ્થિતિ કહી છે એવી જ અસુરકુમારની પણ જઘન્ય સ્થિતિ સમજવી. તેનું સ્પષ્ટીકરણ આ પ્રમાણે કર્યું છે. અસુરકુમારની જઘન્ય સ્થિતિ દસ હજાર વર્ષની હોય છે. એક સમય અધિક, બે સમય અધિક, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

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