Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 848
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.१७०५सू०७ पृथ्वीकायिकादीनां स्थितिस्थानादिवर्णनम् ८२५ पृथिवीकायिकस्थितिस्थानादिप्रकरणम्अथ पृथिवीकायिकाधेकेन्द्रियजीवानां स्थितिस्थानादिकं निरूपयितुमाह'असंखिज्जेसु' इत्यादि। मूलम्-असंखिज्जेसु णं भंते! पुढवीकाइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढवीकाइयावासंसि पुढवीकाइयाणं केवइया ठिइटाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेज्जा ठिइट्टाणा पन्नत्ता तं जहा जहन्निया ठिई जाव तप्पाउग्गुकोसिया ठिई । असंखेज्जेसु णं भंते पुढवीकाइयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि पुढवीकाइयावासंसि जहणियाए ठिईए वट्टमाणा पुढवीकाइया कि कोहोवउत्तामाणोवउत्ता मायोवउत्ता, लोभोवउत्ता, गोयमा ! कोहोवउत्ता वि माणो. वउत्ता वि मायोवउत्ता वि लोभोवउत्ता वि । एवं पुढवीकाइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं तेउलेस्साए असीई भंगा! एवं आउक्काइय-तेउकाइय-बाउक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं । वणस्सइकाइया जहा पुढवीकाइया ॥ सू० ७॥ छाया-असंख्येयेषु भदन्त ! पृथिवीकायिकावासशतसहस्रेषु एकैकस्मिन् पृथिवीकायिकावासे पृथिवीकायिकानां कियन्ति स्थितिस्थानानि प्रज्ञप्तानि? गौतम! लाख नागकुमारोंके आवासोंमें” इत्यादिरूपसे पाठ पढ़ना चाहिये, क्यों कि "चउसट्ठी असुराणं नागकुमाराण होइ चुलसीई” असुरकुमारों के भवन ६४ लाख होते हैं और नागकुमारों के भवन ८४ लाख होते हैं ऐसा कथन है। इसलिये भवन संबंधी प्रश्नसूत्रों में भवनसंख्याका नानात्व जानकर सूत्रका आलाप करना चाहिये ॥सू०६॥ इति असुरकुमारादि का स्थितिस्थानादि संपूर्ण ॥ सयसहस्सेसु ) यार्यासी नागभारावासमात्याहि३थे सूत्र५४ ४२३ नये. “ चउसट्ठी असुराण नागकुमाराणं होइ चुलसीई” असुरभाराना ६४ ॥ भने નાગકુમારોનાં ૮૪ લાખ ભવન હોય છે. એવું શાસ્ત્રોમાં કહેલ છે. તેથી ભવન સંખ્યામાં જે ફેરફાર છે તે ધ્યાનમાં રાખીને પ્રશ્નસૂત્ર તથા ઉત્તરસૂત્રો ४i न. ॥ सू. ॥ તે અસુરકુમારાદિના સ્થિતિસ્થાનાદિ સમાપ્તા भ-१०४ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

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