Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 818
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श. १ उ. ५ सू० ४ रत्नप्रभानारकसंहनननिरूपणम् ७९५ ___ अथ संहननद्वारविषये प्ररूपयन्नाह-' इमीसे गं भंते ' इत्यादि । ' इमीसे गं भंते' एतस्यां खलु भदन्त ! 'जाव' यावत् रत्नप्रभायां पृथिव्यां त्रिशतिनिरयावास शतसहस्रषु एकैकस्मिन् निरयावासे वर्तमानानां ‘नेरइयाणं' नैरयिकाणाम् " सरीरया" शरीराणि 'सिंघयणा पन्नत्ता' किंसंहननानि प्रज्ञप्तानि ?, संहननं नामास्थिसंचयनादिरूपम् तत् वज्रऋषभनाराचादिभेदेन षड्विधं भवति। तत्र किमाकारकं तेषां संहननमिति प्रश्नः । भगवानाह---'गोयमा' ज्ञत्यादि । ' गोयमा' हे गौतम ! 'छण्हं संघयणाणं ' षण्णां संहननानां मध्ये ते " असंघयणी' असंहनिनः-संहननवर्जिता नारकाः भवन्ति । कस्मात् कारणात् नरकाः संहननवर्जिताः ? तत्राह-' नेवट्ठी' इत्यादि । तेषां नारकशरीराणां 'नेवट्ठी' नैवास्थीनि, 'नेव छिरा' नैव शिराः धमन्यः 'नेव हारूणि' नैव स्नायवः अस्थिबन्धन्यो धमन्य एव, नैव तेषामस्थ्यादीनि भवन्ति, संहननस्या(इमीसे णं भंते !) हे भदन्त ! इस (रयणप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयाणं सरोरया किंसंघयणा पत्नत्ता) रत्नप्रभा पृथिवी के ३० लाख नरकावासों में से एक एक नरकावास में रहने वाले नारक जीवों के शरीर का कौनसा संहनन कहा गया है ? अस्थियों के संचयन आदिरूप संहनन होता है। यह संहनन वज्रऋषभनाराच आदि के भेद से ६ प्रकार का होता है । तब यहां ऐसा प्रश्न किया गया है कि उन नारक जीवों के शरीर इन संहननों में से किन संहनन वाले है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (छण्हं संघयणाणं असंघयणी) नारक जीवों के शरीर छहों संहननों में से किसी भी संहननवाले नहीं हैं । नारक जीव किस कारण से संह. ननवर्जित होते हैं ? तब इसका उत्तर (नेवट्ठी, नेव च्छिरा, णेव हारूणि) यह है कि उनके शरीर में न हड्डियां होती हैं, न नसें होती हैं, और न (इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयाणं सरीरया किं संघयणा पण्णंत्ता ?) लगवन् ! २१ २त्नप्रभा पृथ्वीना त्रीस ५ न२४.पाસોમાંના પ્રત્યેક નરકાવાસમાં રહેનારા નારક જીનાં શરીરનાં સંહનન કેવા પ્રકારનાં કહ્યાં છે ? હાડકાઓના સમૂહેરૂપ સંહનન (સંઘયણ) હોય છે, તે સંઘયણના વજીભષ નારાચ વગેરે છ ભેદ હોય છે. ગૌતમસ્વામી એમ પૂછે છે કે આ છએ પ્રકારમાંથી કયા પ્રકારનું સંઘયણ નારકને હોય છે? उत्तर-(गोयमा!) गौतम ! (छण्हं संघयाणं असंघयणी) ना२४ જીનાં શરીર છએ સંઘયણમાંથી કઈ પણ સંઘયણવાળાં નથી. નારક છે ॥ २0 सघयडित डोय छे, ते वे शताव छ-( नेवटी, नेवच्छिरा, णेव व्हारूणि) ॥२६१ तेमन शरीशमा ७i डोतi नथी, नसो डोती नथी શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

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