Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 798
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श० १९. ५ सू० २ रत्नप्रभास्थितिस्थाननिरूपणम् ७७५ मायोपयुक्तश्च७, क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्ताश्च मायोपयुक्ताश्च८, क्रोधोपयुक्तश्च मानोपयुक्तश्च लोभोपयुक्तश्च ९, क्रोधोपयुक्तश्च मानोपयुक्तश्च लोभोपयुक्ताश्च १०, क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्ताश्च लोभोपयुक्तश्च ११, क्रोधोपयुक्तश्च मानोपयुक्ताश्च, लोभोपयुक्ताश्च १२, क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्तश्च लोभोपयुक्तश्च १३, क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्तश्च लोभोपयूक्ताश्च१४, क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्ताच, यह सातवां त्रिक संयोगी भंग है यहां क्रोध को और मान को बहुवचनान्त रखा गया है । क्रोधिोपयुक्त मानोपयुक्त मायोपयुक्त, यह आठवां त्रिक संयोगी भंग है । इसमें क्रोध, मान और माया इन तीनों को बहुवचनान्त रखागया है ८। क्रोधोपयुक्त मानोपयुक्त और लोभोपयुक्त यह नौवां भंग है । यहां मायाका स्थान बदलकर उसकी जगह लोभको रखा गया है। और इन तीनों को एकवचनान्त किया गया हैं ९। (क्रोधोपयुक्त मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त यह दसवां त्रिकसंयोगी भंग है। इसमें लोभको बहुवचनान्त किया गया है १०। क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त और लोभोपयुक्त यह ग्यारहवां भंग है। यहां क्रोध और मानमें बहुवचन किया गया है ११॥ क्रोधोपयुक्त,मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त, यह बारहवां भंग है। इसमें मान और लोभ को बहुवचनान्त किया है १२ । क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, लोभो. पयुक्त, यह तेरहवाँ भंग है। इसमें क्रोध को ही बहुवचनान्त किया है १३ क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त, यह चौदहवां भंग है। इसमें क्रोधको और लोभ को बहुवचनान्त किया है१४ । क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त यह पन्द्रहवां त्रिकसंयोगी भंग है । इसमें क्रोध और मान इन दोनों को बहुवचनान्त किया है१५। क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, જીવ માયોપયુકત હોય છે. (૮) અનેક નારક જીવો કોધપયુક્ત, માનોપયુક્ત અને માપયુક્ત હોય છે. આ ભાંગામાં ત્રણેને બહુવચનમાં મૂક્યા છે. (૯) કોઈ એક નારક જીવ કોપયુકત, માપયુક્ત અને લાભપયુક્ત હોય છે. આ ભાંગા ત્રણેને એક વચનમાં મૂક્યાં છે. (૧૦) કેઈ એક નારક જીવ કોપયુકત અને માને પયુક્ત હોય છે. તથા અનેક નારક છે લેપયુકત હોય છે. (૧૧) અનેક નારક જીવે કોપયુકત અને માનપયુકત હોય છે તથા કઈ એક નારક જીવ લોભપયુક્ત હોય છે. (૧૨) અનેક નારક છ માનયુકત અને લેભયુકત હોય છે તથા કઈ એક નારક જીવ કોધાયુકત હોય છે. (૧૩) નારક છે ક્રોધપયુક્ત હોય છે કેઈ એક માનોપયુકત અને કોઈ એક લેપયુક્ત હોય છે. (૧૪) અનેક નારકે ક્રોધ અને લેભયુકત હોય છે જ્યારે કોઈ એક માનયુકત હોય છે, (૧૫) અનેક નારક અને માનથી ઉપયુક્ત અને કઈ એક શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧

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