Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिकाठीका श० १३० १ सू० २९ असंयत जीवाधिकारनिरूपणम् ३५५ नो देवः स्यात् । तत्केनार्थेन भदन्त ! एव मुच्यते जीवः खलु यावत् इतश्च्युतः प्रेत्य अस्त्येकको देवः स्यात् अस्त्येकको नो देवः स्यात्, गौतम ! ये इमे जीवाः ग्रामा - Ssकर - नगर-निगम - राजधानी - खेट - कर्बट - मडंब - द्रोणमुख- पट्टनाऽऽश्रम -संवाह - संनिवेशेषु अकामतृष्णया अकामक्षुधया अकामब्रह्मचर्यवासेन अकामशीतातपदंशमशकाऽस्नानकस्वेदजलमलपंकपरिदाहेणाल्पतरं वा भूयस्तरं वा काल
इओ चुए पेच्चा देवे सिया ? ) हे भदन्त ! असंयत, अविरत तथा जिसने पापकर्म प्रतिहत ( नाश ) नहीं किया है, ऐसा जीव यहां से - मर कर प्रेत्य - परलोक में क्या देव होता है ? ( गोयमा ) हे गौतम! ( अत्थेire देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया) कितनेक ऐसे जीव देव होते हैं और कितनेक देव नहीं होते हैं । ( से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - जीवे णं जाव इओ चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नो देवे सिया ?) हे भदन्त ! आप ऐसा किस कारणसे कहते हैं कि जीव यावत् यहां से च्युत होकर मर कर कोई एक देव होता है और कोई एक देव नहीं होता है ? ( गोयमा ) हे गौतम! ( जे इमे जीवा गामागर - नगरनिगम - रायहाणि - खेड - कब्बड - मडंब - दोणमुह - पट्टणा - समसंवाहसाण्णवे से अकामतण्हाए, अकामछुहाए, अकामबंभचेरवासेणं) जो ये जीव ग्राम, आकर, नगर निगम, राजधानी, खेट, कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पहन, आश्रम, संवाह तथा सन्निवेश इन स्थानों में अकाम
ओचुए पेच्चा देवे सिया ? ) हे लहन्त ! असंयत, अविरत, याययुर्भ'ने ঈभो પ્રતિહત કર્યું" નથી, પ્રત્યાઘાત નથી કર્યા એવા જીવ અહીંથી મૃત્યુ પામીને પરલેાકમાં શું દેવ અને છે ?
( गोयमा ! ) हे गौतम! ( अत्थेगइए देवेसिया, अत्थेगइए णो देवेसिया) तेमांना डेटलाउ वो देव थाय छे भने डेंटला लवो देव थता नथी. ( से केण द्वेण भंते ! एवं वुच्चइ जीवे णं जाव इओ चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नो देवेसिया ? ) हे लहन्त ! आप शा अरले मेवु डो
છે કે અહીંથી આયુષ્ય પૂરૂં થતાં મરીને કાઇ એક જીવ દેવ થાય છે અને अर्ध मे लव देव थतो नथी ? ( गोयमा ! ) डे गौतम ! ( जे इमे जीवा गामागर नगर निगम रायहाणि खेड कब्बड मडंब दोहमुहपट्टणा सम संवाह सणिवेसे अकाम तहाए, अकामछुहाए, अकाम बंभचरे वासेणं) ने भवा आभ, आ४२, नगर, निगम, राजधानी, भेट, डर्ट, भउंज, द्रोशमुख, चट्टन, આશ્રમ, સવાહ, તથા સન્નિવેશ, એ સ્થાનોમાં અકામ તુષ્ણા દ્વારા, અકામ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧