Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________
प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.१ उ०५ सू० २ (२४)दण्डकेषु स्थितिस्थाननिरूपणम्७४९ क्रोधोपयुक्ताश्च१, अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्तश्च२, अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्ताश्च३, अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च मायोपयुक्तश्व४ अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च मायोपयुक्ताश्च५, अथवा क्रोधोपयुक्ताश्व लोभोपयुक्तश्च६, अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च लोभोपयुक्ताश्च७ । अथवा क्रोधोपयुक्ताश्च मानोपयुक्तश्च मायोपयुक्तश्च १, क्रोधोपनरकावासों में रहे हुए जघन्यस्थिति वाले समस्त नारक जीव क्रोधोपयुक्त हैं १ । (अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य) बहुत से क्रोधोपयुक्त कोई एक मानोपयुक्त। (अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य) अथवा बहुतसे क्रोधोपयुक्त और मानोपयुक्त भी बहुत हैं३। (अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य) बहुत से क्रोधोपयुक्त और कोई एक मायोपयुक्त ४। (अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य) अथवा क्रोधयुक्त भी बहुत और मायोपयुक्त भी बहुत ५ ( अहवा कोहोवउत्ता य लोहोवउत्ते य ) बहुत से क्रोधोपयुक्त और कोइ एक लोभोपयुक्त ६ (कोहोवउत्ता य लोहोवउत्ता य) बहुतसे क्रोधोपयुक्त और लोभोपयुक्त भी बहुत हैं । असंयोगी एक और द्विकसंयोगी ६, इस प्रकार सात भङ्ग होते हैं।
अब तीन संयोगी बारह भङ्ग कहते हैं (अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य ) अथवा बहुत से क्रोधोपयुक्त कोइ एक मानोपयुक्त और मायोपयुक्त१ । (कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य) बहुत से क्रोधोपयुक्त कोइ एक मानोपयुक्त और बहुतसे मायोपयुक्त २ । (कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवહે ગૌતમ ! સમસ્ત નારકાવાસમાં જઘન્ય સ્થિતિવાળા કોપયુત હોય છે. ? अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य प ओधोपयु४त भने । भानोपयुक्त महवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ताय ओघा५युत ! भने भानोपयुत पy घा! 3 अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य प अधेोपयुत अने । मे भाना५युत ४ अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य प अधे।५युत भने भाया५युत ५५ ५ ५ अह्वा कोहोवउत्ता य लोहोवउत्ते य घ अधयुत भने ७ २४ सोमयुत ६ कोहोवउत्ता य लोहोवउत्ता य प अधयुत भने લયુક્ત પણ ઘણું ૭ આ રીતે અસગી એક અને બ્રિકસંગીક છે મળીને સાત ભાંગા થાય છે.
वे १ सयाजी ॥२ Hion उपाभा यावे छे. अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोव उत्ते य Aथा पशु ओधोपयुवत मन:४ मे भानोपयुक्त तमन भायोपयु४त ५५५ 35 से डाय छ १ कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य अथवा धोधोपयुत ४ मे भानोपयुवत मने !
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧