Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 758
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श. १ उ.५ सू० १ नारकादि(२४)दण्डकावासनिरूपणम् ७३५ गौतम ! द्वात्रिंश विमानावासशतसहस्राणि प्रज्ञप्तानि,एवम् द्वात्रिंशदष्टविंशतिदिशाष्ट चत्वारिंशत् सहस्राणि पश्चाशत् चत्वारिंशत् षटू च सहस्राणि सहस्रारे ॥१॥ आनतपाणतकल्पे चत्वारि शतानि आरणाच्युते त्रिणि सप्त विमानशतानि चतुर्वपि एतेषु ___ अब गौतमस्वामी सौधर्मकल्पके विषय में प्रश्न करते हैं-(सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पनत्ता) हे भदन्त ! सौधमकल्प में कितने लाख विमानावास कहे गये है ? इसका उत्तर देते हुए भगवान् कहते हैं-( गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता) हे गौतम ! सौधर्मकल्पमें ३२ बत्तीस लाख विमानावास कहेगये हैं (एव) इसीतरह ईशानयल्पसे लेकर अनुत्तर विमानतक प्रश्नसूत्र कहनाचाहिये। इनका उत्तर भगवान् इन तीन गाथाओंद्वारा कहते है-(बत्तीसट्ठावीसा) बत्तीस लाख विमान सौधर्मकल्प में हैं, २८ अठाइस लाख विमानावास ईशानकल्पमें (बारस अट्ट चउरो सयसहस्सा) बारहलाख विमान सनत्कुमार, कल्प में, ८ आठलाख विमानावास माहेन्द्र कल्पमें ४ चार लाख विमानावास ब्रह्मलोकमें, (पन्ना चत्तालीसा) पचास हजार विमानावास लान्तक कल्पमें, ४० चालीस हजार विमानावास महाशुक्र कल्प में (छच्च सहस्सा सहस्सोरे) ६ छह हजार विमानावास सहस्रार कल्प में कहे गये है। ( आणाय-पाणयकप्पे, चत्तारिसयाऽऽरणच्चुए वे गौतभस्वामी सौधर्भपना विषयमा प्रश्न ४२०i ४९ छे-सोहम्मेणं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता ? ७ मावन् ! सौधर्म કપમાં (દેવલોકમાં) કેટલાં લાખ વિમાનાવાસો કહ્યાં છે ? આ પ્રશ્નનો ઉત્તર सात मावान छ ॐ गोयमा ! बत्तीसं विमाणावोससयसहस्सा पन्नत्ता उ गौतम! सौधर्मयमा त्रीसमा विमानावासो ४i छ. एवं कर પ્રમાણે ઈશાનકલ્પથી લઈને પાંચ અનુત્તર વિમાન સુધીનાં પ્રશ્નસૂત્રો કહેવાં જોઈએ. તેને ઉત્તર ભગવાન નીચે પ્રમાણે ત્રણ ગાથાઓથી આપે છે. बत्तीसट्रावीसा मत्रीसमा विमानापास सौधर्म ४६५मा छ, २८ मध्यावासास विभानावास, शान४६५मां, बारसअट्टचउरो सयसहस्सा पासा. विमानापास સનસ્કુમાર કલ્પમાં, આઠલાખ વિમાનાવાસ મહેન્દ્ર કપમાં, બ્રહ્મસેકમાં ચાર साम विभानावास, पन्नाचत्तालीसा elds ४८५मा पयास १२ विमानापास, भाशु ४६५मां यालीसड०१२ विभानावास, छच्चसहस्सा सहस्सारे संसार ४६५मा छ १२ विमानावास ४६५मा ४ा छे. आणाय पाणाय कप्पे, चत्तारिसयाऽऽरणच्चुए तिण्णि मानत भने प्रात ४८५मां यारसे। विभानावास, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

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