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प्ररयंद
अरि
परयंद-देखो 'अरिद'।
अरहर-पु० [सं० आढकी] १ एक द्विदल मोटा अनाज, तुर । प्ररय्यमा-पु० [सं० अर्यमन] बारह आदित्यों में से एक । . २ शत्रु, रिपु। परर-ग्रव्य पु० [सं० अररे] दर्द, शोक, आश्चर्य व व्यग्रता | अरहित-वि० [सं० अहित] पूजित, अचित ।
सूचक अव्यय ध्वनि । -पु० [सं०] कपाट, किंवाड़। अरहौ-पु० [सं० अर्ह ] अत्यावश्यक कार्य। परराट (टौ)-पु० [अनु०] १ घोर ध्वनि । २ दर्द की आवाज, अरांरिण-पु० [सं० रण] युद्ध । कराहट ।
अरांन, (नी)-पु० [सं० अरि]१ रिपु, शत्रु । २ ऐबवाला घोड़ा। परळ-स्त्री० १ अर्गला, व्योंडा । २ शत्रु ।
अरांनौ-पु० बहादुर, वीर ।। अरळारणौ, (बौ), अरळावरणौ (बौ)-देखो 'अरड़ावणौ'। प्ररांम-देखो 'पारांम'।-खोर='आरामखोर'। परळु-स्त्री०१ कड़वी लौकी । २ एक औषधि का नाम ।। अराई-स्त्री० [सं० अहार्य] घास-फूस की गेंडुरी, इंडुरी । ३ एक फल।
अराक-वि० १ अकडने वाला। २ देखो 'ऐराक' । प्ररवत, अरवा-पु० [सं० अर्वन] घोड़ा, अश्व ।
अरड़ारणौ (बौ)-१ ऊंट, भैस आदि पशुओं द्वारा कष्ट में परवळ-पु० घोड़े के कान की जड़ में होने वाली भौंरी।
कराहना, आवाज करना। २ जोर से रोना, चिल्लाना। परवाचीन-वि० [सं० अर्वाचीन] १ आधुनिक । २ नवीन । अराज-वि० बिना राज्य का। -पु० राज्य का प्रभाव । अरविंद-पु० [सं०] १ कमल । २ सारस । ३ तांबा । ४ कमल अराजक-वि० [सं०] १ राजा या शासन विहीन । २ उपद्रवी,
का फुल । -मयन-पु० विष्णु । कमल नयन । -नाम- विद्रोही। पु० विष्णु । -बंधु-पु० सूर्य । -योनि-पु० ब्रह्मा । अराजकता-स्त्री० [सं०] १ शासन का अभाव । २ अशान्ति । -लोचन-पु० विष्णु । कमल नयन ।
३ क्रान्ति। अरवी-स्त्री० एक प्रकार का कंद जिसकी तरकारी बनती है। अराट-पु० [सं० अरि + राट्] १ शत्रु-राजा २ देखो 'अरराट'। अरस, (सि)-पु० १ आकाश । २ सबसे ऊंचा स्वर्ग जहां | अरात, (ति, ती)-पु० [सं० पाराति] १ शत्रु, दुश्मन ।
ईश्वर रहता है । [सं० अर्शस्] ३ बवासीर रोग । २ रात्रि का अभाव । ३ दुष्ट, आततायी । ४ फलित ४ छत, पटाव । ५ महल। -वि० [सं०] १ रसहीन, नीरस ।। ज्योतिष में कुंडली का छठा स्थान । २ फीका । ३ मंद, निस्तेज। ४ निर्बल। ५ अगुणकारी। रातो-वि० विरक्त, उदासीन । ६ शुष्क ।
अरादौ-देखो 'इरादौ'। अरस-परस-पु० [सं० दर्श-स्पर्श] १ दर्शन, साक्षात्कार । अराधक-देखो 'पाराधक' ।
२ अांख मिचौनी का खेल । -क्रि०वि० प्रत्यक्ष, रूबरू । अराधरणा-देखो 'पाराधना' । प्ररसाधनी-स्त्री० [सं० अरिसाधिनी] सेना, फौज।
अराधरणौ (बौ)-देखो 'आराधणौ' (बी)। अरसाल, (लौ)-पु० [सं० अरि-शल्य] १ गढ़, दुर्ग, किला। अरापत-देखो ‘ऐरावत' ।। २ राजा कर्ण । ३ बीर, योद्धा।
अराब, अराबा, अराबी-स्त्री० [फा०] १ तोप रखने की अरसिक -वि० [सं०] १ जो रसिक न हो । २ विरक्त । ३ रूखा, ___ गाड़ी । २ फौज की टुकड़ी । ३ एक प्रकार की छोटी शुष्क । ४ अभावुक ।
तोप । ४ युद्ध वाद्य विशेष । परसौ-पु० [अ० अर्सा] १ समय, अवधि । २ विलंब, देर । अरावळ-पु० [फा० हरावल ] सेना का अग्र भाग । अरस्स, (ए), अरस्सि-देखो 'अरस' ।
अरावी-पु० सांप की कुडली। अरहंत-देखो 'अरिहंत'।
अराह-स्त्री० कुमार्ग। अरहट, (ट्ट, ठ)-देखो 'अरट' ।
अरिद-पु० [सं० अरि + इन्द्र] शत्र , दुश्मन । अरहटणी-बि० शत्रुनों का नाश करने वाला।
अरि-पु० [सं०] १ शत्रु, वैरी, रिपु । २ काम, क्रोधादि प्ररहटरणौ, (बौ)-क्रि० शत्रुओं का नाश करना ।
आन्तरिक शत्र । ३ पहिया, चक्र । -अव्य० और । अरहड-देखो 'अरहर'।
-प्ररण, यण, यांरण-पु० शत्र गण । -क-पु० संदेह, शंका ।
-केसी-पु० श्रीकृष्ण । -घड़-पु० शत्र दल । --धन अरहरण-देखो 'अरिहंत'।
-पु० शत्रुध्न । -- जरण, ज्जए-पु० शत्रु गण । -थंड, अरहणा-स्त्री० [सं० अर्हणा] १ पूजा, अर्चना । २ उपासना ।
थाट-पु० शत्रु समूह । -द-पु० शत्र । -दम ३ सम्मान । ४ शिष्ट व्यवहार ।
-वि० शत्रुओं का दमन करने वाला। -दळ-पु० शत्रु प्ररहत-देखो 'अरिहंत'।
सेना । -भंजण-वि० शत्रों का संहार करने वाला
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