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| तात पाय का बन्ध होय है। नाम दिये सर्वनों ऐसा ज्ञान हो जाय है जो यह ग्रन्थ फलाने कवीश्वर का किया है
सो बाके नामकौं जानि धर्मात्मा सेसी विचारै जो वह कवीश्वर तो भला तत्वज्ञाना है। भले सम्यग्ज्ञान का धारी । है। पक्का दसरथानी है। सो वाके वचन प्रमाण हैं। ऐसा धर्मार्थी प्रसिद्ध तत्वज्ञानी कदाचित् एक दोय जगह
चूक भी जाय तो विवेकी धर्मात्मा रोसी कहैं जो एक दोय चुक हैं सो ज्ञान की न्यनता ते भाव नहीं भास्या तातें ये शब्द लिखे गये। परन्तु वाके श्रद्धान बहुत दृढ़ है। ऐसा जानि उस कवीश्वरक नाम धरने ते मला सरधानी जानि, दोष नहीं लगावें और वाके वचन प्रमाण माने हैं। कोई ग्रन्थ का कर्ता अतत्व सरधानी होय तौ वाके नाम मोग तें नाम जानि, विवेकी हैं सो रौसा विचार हैं। जो इस ग्रन्थ का कर्ता अतत्त्व सरधानी है ताका कहा भया कोई शब्द जिन आज्ञा प्रमाण नाहीं, तातें इस वक्ता के वचन प्रमाण नाहीं। ऐसे नाम के भोगते भले कवीश्वर अरु बुरे कवीश्वर की परीक्षा करिये है, सो ता कवीश्वर के नाम करि ग्रन्थ के वचन प्रमारा करिये है। तातें कवीश्वर अपना नाम धरें। अरु कदाचित ग्रन्थकर्ता अपना नाम ग्रन्ध मैं नहीं धरें तो वह वक्ता अन्य कवीश्वरनि का चोर होय। तातै ग्रन्थ में कवीश्वर अपना नाम का भोग धरें हैं। इहां मान का कछु काम नाहीं।। यह तौ धर्मात्मा जीवनिकों अनुमोदना होने के निमित्त नवीन ग्रन्थनि की रचना करिये है। सो याको वांचिक सामान्यबुद्धि तो ज्ञान को बढ़ावेंगे। मोनै विशेष ज्ञानी धर्मात्मा जो ज्ञानसम्पदा के धारी हैं सो ऐसी विचारेंगे जो रोसा दीर्घ ग्रन्थ तव अर्थ सहित की रचना करी सो स्याबासि है। ऐसा जानि धर्मानुराग बढ़ावेंगे। कदाचित् विशेष ज्ञानी इस ग्रन्थ को सुगम जानि याका अभ्यास नहीं करेंगे तो वक्ता ते जो सामान्यबुद्धि होंगे सो भव्यात्मा धर्मानुरागी शुभ फल के अरु तत्वज्ञान के बढ़ने की इस ग्रन्थ का अभ्यास करेंगे। सो इस ग्रन्थ ते जिन आज्ञा का सामान्य रहस्य जानि पोछे विशेष शास्त्रनिमैं प्रवेश पावें ताकरि पुण्य का संचय करेंगे, अरु तत्त्व का भेद पावेंगे। तातें यह ग्रन्थ भव्यनिकी गुणकारी है। ता यामैं कोऊ सामान्य दोष हो गया तो हम शुद्ध कर देंगे ऐसा विचार तौ धर्मात्मा पंडित इस ग्रन्थ की रही चूक शुद्ध करेंगे। और दूसरे मानार्थी पंडित हैं सो पराये मान खण्ड करिने का सदैव उपाय करें हैं सो पराये मान खण्ड भये सुख पावेंगे। सो यों तौ ग्रन्थ में चूक न होयगी तौह दोष लगाठौंगे, सो दोष भये तो दोष लगाठी ही लगाठौं। यह अपना