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५६] . चौथा अध्याय जिनसे किसी चीज को हम प्रत्यक्ष से नहीं जान पाते । ऐसे कारण तीन हैं एक तो विषय की सूक्ष्मता कि वह इंद्रियों पर विषय योग्य प्रभाव न डाल सके, दूसरा ऐसे क्षेत्र में उनका होना जहां से वह इन्द्रियों पर विषय योग्य प्रभाव न डाल सके, तीसरी उसकी अवर्तमानता जिससे उसका प्रभाव इंद्रियों पर नहीं पड़ पाता। ये तीन कारण ही अप्रत्यक्षता के हैं | अब देखना चाहिये कि ये कारण क्या ऐसे हैं जिनसे वस्तु की अनुमेयता भी नष्ट हो जाय । सूक्षमता के होने पर भी अनुमेयता हो सकती है । क्योंकि सूक्ष्म बहुत संख्या में मिलकर स्थूल बन सकते हैं और उस स्थूल से सूक्ष्म का अनुमान किया जा सकता है अथवा सूक्ष्म का प्रभाव स्थूल पर पड़ सकता है जैसे चुम्बक की आकर्षण शक्ति का प्रभाव स्थूल लोहेपर पडता है विद्युत का प्रभाव ग्लोब के तार पर पड़ता है जिससे प्रभाव पैदा होता है । इस प्रकार जो सूक्ष्मता प्रत्यक्ष होने में बाधा डाल सकती है वह अनुशान में भी बाधा डाले ऐसा नियम नहीं है इसलिये प्रत्यक्ष के बिना भी वस्तु अनुमेय हो जायगी इसीलिये प्रत्यक्षत्व की अनुमेयत्व के साथ व्याप्ति नहीं बन सकती ।
वस्तु की क्षेत्रान्तरता जो प्रत्यक्ष में बाधा डाल सके वह भी अनुमान में बाधा डालने में नियतरूप में समर्थ नहीं है क्योंकि क्षेत्रान्तर में रहते हुए भी वह किसी ऐसे पदार्थ पर प्रभाव डाल सकती है जो हमारे प्रत्यक्ष का विषय होकर अनुमान का साधन बन जाय । जैसे देशान्तर में गये हुए आदमी को हम देख नहीं पाते परन्तु उसका पत्र पढ़ कर उसके हस्ताक्षर पहिचान कर उस की अवस्था का ज्ञान कर लेते हैं । यही बात अवर्तमान वस्तुओं के