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केवली के अन्य ज्ञान
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आँखें हैं तो क्या केवलज्ञान के पैदा होने से अन्धे की तरह वे ana हो जायेंगी ? क्या केवलज्ञान द्रव्येन्द्रियों का नाशक है ? जब कि जैनशास्त्र उनके द्रव्येन्द्रिय का अस्तित्व स्वीकार करते हैं तब वे अपना काम क्यों न करेंगी ? पदार्थ की किरणें जब आँखपर पड़ती हैं कोई कोई दार्शनिक 'नेत्रों की किरणें पदार्थपर पड़ती हैं इससे पदार्थ दिखलाई देता है' ऐसा मानते हैं; परन्तु इस मत में अनेक दोष हैं. इसलिये वैज्ञानिक लोग इस मत को नहीं मानते (१) ] तब हमें पदार्थ दिखलाई देते हैं तंत्र मला वे किरणें केवली की आँखों का बहिष्कार क्यों करेंगी ? वे उनकी आँखों पर भी ज़रूर पड़ेंगी। जब किरणें आँखों पर पड़ेंगी तब दिखलाई क्यों न देगा ?
प्रश्न- किरणें तो केवली की आँखों पर भी पड़ती हैं, परन्तु भावेन्द्रिय न होने से उसका चाक्षुत्र प्रत्यक्ष नहीं होता । भावेन्द्रिय तो क्षयोपशमसे प्राप्त होती है किन्तु केवली के सम्पूर्ण ज्ञानावरण का क्षय हो जाने से क्षयोपशम नहीं हो सकता ।
उत्तर - भावेन्द्रिय और कुछ नहीं है, वह द्रव्येन्द्रिय के साथ सम्बद्ध पदार्थ को जानने की शक्ति है । वह ज्ञानगुण का अंश हैं । क्षयोपशम अवस्था में वह अंश ही प्रकट हुआ था किन्तु क्षय होने पर उस अंश के साथ अन्य अनन्त अंश भी प्रकट हो गये । इसका यह अर्थ कैसे हुआ कि क्षयोपशम अवस्था में जो अंश प्रकट था वह
( १ ) जो लोग इसी मतको मानना चाहें उन्हें, पदार्थ की किरणें केवली की आँखों पर पड़ती हैं, ऐसा कहने की बजाय केवली के नेत्रों की किरणें पदार्थ पर पड़ती है, ऐसा कहना चाहिये; और इसी आधार पर यह विवेचन लगाना चाहिये ।