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मतभेद आर आलोचना
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[ २८३ हाल वेग है जो हाथ की शक्ति से उत्पन्न हुआ है | वेग और हाथ की शक्ति में कार्यकारणभाव है और जुदीजुदी वस्तुएँ हैं । इसी अकार जो उपयोग जितना तीव्र है उसका संस्कार भी उतना ही अधिक स्थायी है । उपयोग और संस्कार में कार्यकारणभाव है, परन्तु दानों एक नहीं हैं ।
प्रश्न- किसी का उपयोग तीव्र होकरके भी शीघ्र नष्ट हो जाता है; किसी का मन्द होकर के भी बहुत स्थायी रहता है । बालक किसी पर खूब प्रसन्न होता है और उसे देखकर नाचने लगता है, परन्तु जल्दी भूल जाता है । साधारण मनुष्य भी ऐसे देखे जाते हैं, जबकि अन्य मनुष्य बहुत दिन तक स्मरण रखते हैं ।
उत्तर - जैसे वेग संस्कार अनन्तकाल तक स्थायी रहता है उसी प्रकार भावना भी । परन्तु दूसरे ज्ञानोपयोग उसमें विक्षेप करते हैं । जैसे एक गति दूसरी गति के संस्कार को न तक कर सकती है उसी प्रकार एक ज्ञान दूसरे ज्ञान के संस्कार को नष्ट तक कर सकता है । पत्थर का टुकड़ा थोड़ी शक्ति से जितनी दूर जा सकता है, रुई का ढेर उसल कम वजन होकर भी ओर उससे कईगुणी शक्ति का उपयोग करने पर भी उतनी दूर नहीं जाता। इसका कारण यह है कि रुई का ढेर वायु को इतना नहीं काट सकता जितना पत्थर का टुकड़ा । वायुके घर्षण से जिस प्रकार पत्थर - आदि का वेग क्षीण होता जाता है, उसी प्रकार संस्कार भी अन्य उपयोगों से क्षीण होता रहता है। बालक के वर्तमान संस्कार जितने - प्रबल होते हैं उसको क्षीण करनेवाले दूसरे संस्कार भी प्रबल होते