Book Title: Jain Dharm Mimansa 02
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 388
________________ ३८२ ] पाँचवाँ अध्याय मिम्नलिखित तालिका से मालूम होगा कि किस अंग और किस पूर्वमें कितने पद हैं ? इसके बाद पद और अक्ष के वास्तविक स्वरूप पर विचार किया जायगा । १ आचार २ सूत्रकृत् ३ स्थान ४ समवाय ५ व्याख्या प्र० ६ न्यायधर्म ७ उपासक ८ अंकृत् ९ अनुत्तर १० प्रश्न व्या० ११ विपाक १ उत्पाद पूर्व दिगम्बर मान्यता ५ ज्ञान प्र. ६ सत्य प्र. ७ आत्म प्र - १८००० ३६००० ४२००० १६४००० २२८००० ५५६००० ११७००० २३२८००० ९२४४००० ९३१६००० १८४००००० १ करोड़ ९६ लाख ७० लाख २ अप्रा. ३. वीर्य. ४ अस्तिनास्ति ६० लाख ९९९९९९९ श्वेताम्बर मान्यता १८००० ३६००० ७२००० १४४००० २८८००० ५७६००० सं. ह ११५२००० २३०४००० "" ४६०८००० "" ९२१६००० "3 १८४३२००० 99 १ करोड़ ९६ लाख ७० लाख ६० लाख ९९९९९९९ १०००००००६ १००००००६ २६ करोड़ २६ करोड़ 33

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