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दूसरा युक्तयाभास लोगों में कोई ९० लाखका धनी है, कोई अस्सी लाख, इसी प्रकार ५० लाख, १० लाख, १ लाख, आदि के श्रीमान हैं । यद्यपि यहाँ करोड़पति सब से बड़ा बनी है फिर भी अगर नगर के सब के सब धनियों की सम्पत्ति एकत्रित की जाय तब वह धन उस धनी से बढ जायगा । साथ ही ऐसा भी हो सकता है कि पचास लाख के धनी के पास कोई ऐसी चीज़ हो जो करोड़पति के पास न हो परन्तु करोड़पति के पास पचास लाख के धनी की अपेक्षा अन्य वस्तुएँ अधिक होंगी। इसी प्रकार हर एक प्रकार की तरतमता को उदाहरण रूप में पेश किया जा सकता है ।
इस प्रकार तरतमता से जो सर्वोत्कृष्ट ज्ञान सिद्ध होता है वह कल्पित सर्वज्ञता का स्थान नहीं ले सकता । अगर वह अनन्तज्ञानरूप मान लिया जाय तब भी दो बातें विचारणीय रहती हैं ।
प्रश्न-तरतमता से सिद्ध होने वाले सब से बड़े की व्याप्ति यदि अनंत के साथ नहीं है तो सान्त के साथ भी नहीं है ऐसी हालत में ज्ञान को सबसे बड़ा मानकर भी यदि इस की व्याप्ति के आधार से उसको अनन्त सिद्ध नहीं किया जा सकता तो इस ही के आधार से उस की अनन्तता का निराकरण भी नहीं किया जा सकता ।
उत्तर - अनन्तता के निराकरण के लिये तो काफी प्रमाण दिये जा चुके हैं इसका यहां प्रकरण नहीं है । यहां तो यह बताना है कि सर्वज्ञसिद्धि के लिये तरतमता वाली युक्ति युक्त्याभास है । सो युक्तयाभासता सिद्ध है क्योंकि तरतमता अनन्त के समान सान्त के साथ भी रहती है. इस प्रकार यह अनैकान्तिक हेत्वाभास हो गया इसलिये इस युक्ति से भी सर्वज्ञ सिद्ध नहीं होता ।