________________
,११४ ]
चौथा अध्याय एक साथ सब पर धान देंगे तो वह सामान्य [दर्शन ] उपयोग होगा। दूसरी बात यह है कि अनन्त प्राणियों के अनन्त शब्द जब उनके ज्ञान में एक साथ झलकेंगे तब वे किस किस का उत्तर देंगे ?
प्रश्न-जो वाक्य उनके लिये कहा गया है और वर्तमान है, उसी का उत्तर देंगे।
उत्तर-जब उन्हें अनन्तकाल के अनन्तव्यक्तियों से कहे गये, अनन्त शब्द झलकते हैं, तब उन्हें अनुकका उत्तर देना चाहिये, अमुक का उत्तर न देना चाहिये, इतना विचार तो करना पड़ेगा; और विचार तो मानसिक क्रिया है ।
प्रश्न--केवली को इतना विचार भी नहीं करना पड़ता किन्तु उनके मुख से आपसे आप प्रश्न का उत्तर निकलता है।
उत्तर--इस तरह तो केवली, मनुष्य न रहेंगे, मशीन हो जाँयगे । ऐसी हालत में केवली का उत्तर प्रश्नकर्ता के प्रश्न की, प्रतिध्वनि ही होगी। परन्तु प्रश्न की प्रतिध्वनि से ही प्रश्नका उत्तर नहीं हो सकता । दूसरी बात यह है कि केवली जब उत्तर देते हैं तब उनका आत्मा बचन बोलने के अभिमुख होता है या नहीं ? यदि नहीं होता तब तो उनके वचनयोग भी न होना चाहिये, क्योंकि बोलने के लिये अभिमुख आत्माका जो प्रदेश परिस्पंद (कम्पन) है वही वचन योग (१) है। परन्तु केवली के वचन
(१) वाक्परिणामाभिमुखस्या मनः प्रदेशपरिस्पंदो वाग्योगः । राजवार्तिक . ६.-१-१०॥