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पहिला युक्तयाभास
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उत्तर - जहां की अग्नि प्रत्यक्ष है वहां तो ठीक है पर जहाँ की अग्नि प्रत्यक्ष नहीं हैं वहां अनुमेयत्व हेतु चले जाने से व्याप्ति बिगड़ गई । अनुमेयत्व और प्रत्यक्षत्व की व्याप्ति तभी बन सकती है जब सदा सर्वत्र प्रत्यक्षत्व के बिना अनुमेयत्व न बन सके । जब हम जीवन में सैकड़ों वस्तुओं का अनुमान बिना प्रत्यक्ष के करते हैं तब प्रत्यक्षत्व और अनुमेयत्व की व्याप्ति कैसे बन सकती है ।
प्रश्न- प्रत्यक्षत्व और अनुमेयत्व ये वस्तुके धर्म हैं । जिसमें प्रत्यक्ष होने योग्य धर्म होगा उसी में अनुमेय होने योग्य धर्म होता है । जो अनुमेय हो गया उसमें प्रत्यक्ष होने की योग्यता भी अवश्य होती हैं | अगर आपने किसी अनुमेय पदार्थ का प्रत्यक्ष नहीं कर पाया तो इसका यह मतलब नहीं है कि उसमें प्रत्यक्षत्व की योग्यता नहीं है | योग्यता की दृष्टि से दोनों की व्याप्ति बनती है ।
उत्तर- अगर प्रत्यक्षत्व की योग्यता और अनुमेयत्व की व्याप्त हैं तो सर्वज्ञ सिद्धि के लिये यह अनुमान व्यर्थ है क्योंकि योग्यता के होने पर भी वह कार्य परिणत हो या न हो यह नहीं कह सकते । जैसे बंद कमरे की अग्नि प्रत्यक्ष योग्य होनेपर भी उसका प्रत्यक्ष नहीं हुआ उसी प्रकार सूक्ष्मादि पदार्थ प्रत्यक्ष योग्य होने पर भी उनका प्रत्यक्ष न हो इसमें क्या आश्चर्य है ? प्रत्यक्षत्व की योग्यता सिद्ध होने पर वे किसी के प्रत्यक्ष हैं यह सिद्ध नहीं हुआ ।
दूसरी बात यह है कि यह प्रत्यक्षत्व की योग्यता क्या वस्तु है ? इसके लिये हमें यह देखना चाहिये कि वे कौन से कारण हैं