Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्याचिन्तामणिः
जाते हैं, यदि अपने अपने मसके अनुसार माने गये धर्मीके ग्राहकप्रमाणोंसे ही साध्यकी माषा उपस्थित की गयी तब तो कोई वादी दूसरे प्रतिवादीके प्रति अनुमानसे नई बातको सिद्ध न कर सकेगा। जैसे किशब्दको अनित्य सिद्ध करनेवाले नैयायिकके प्रति मीमांसक कह देवेगा कि जिस प्रमाणारे गैमासिक गन्दको जाती इस पमाणसे नित्यतासहित ही शब्द जाना जावेगा । अतः धर्मीके प्राइक प्रमाणसे ही साध्यकी बाधा उपस्थित हो जावेगी । तथाच नैयायिक शब्दको अनित्य सिद्ध नहीं कर सकेंगे। इस मकार सर्व ही वादी वैसे ही उन प्रतिवादियोंके वचनका खण्डन न कर सकेंगे, किंतु खण्डनमण्डन व्यवहार प्रसिद्ध है। अतः दूसरोंके मन्तव्यको लेकर ही सब लोग पक्ष और हेतुको बोल सकते हैं, कोई दोष नहीं है।
विज्ञानसमवायाच्वेच्चेतनोऽयमुपेयते । तत्संसर्गात्कथं न ज्ञः कपिलोऽपि प्रसिद्धयति ॥ ६७ ॥
यदि नैयायिक यहां यह कहे कि मिन्न होनेपर मी गुणगुणीका तो समवायसम्बन्ध हो जाता है इस कारण बुद्धिरूप चेतनाके समवायसम्बन्धसे यह ईश्वर मी चेतन मान लिया जात, है । ग्रंथकार कहते हैं कि ऐसा स्वीकार करनेपर तो सांख्यके मतमें मी प्रकृतिकी बनी हुगी उस बुद्धिके संसर्गसे कपिलदेव भी ज्ञाता (शान-स्वभावबाले ) क्यों नहीं प्रसिद्ध हो जायेंगे ! । न्याय समान होना चाहिये। ____ यथेश्वरो ज्ञानसमवायाच्चेतनस्तथा मानसंसर्गात्कपिलोऽपि शोऽस्तु। तथापि तस्याक्षत्वे कथमीश्वरश्चेतनो यतोऽसिद्धो हेतुः स्यात् ।
जिस प्रकार नैयायिकोंके मत मिम छानके समवायसे ईश्वरको चेतन माना जाता है उसी प्रकार सर्वथा भिन्न झानके संसर्गसे सांख्योंका कपिल भी ज्ञानस्वरूप ज्ञाता हो जाओ । यदि फिर वैसा ज्ञानका संसर्ग होनेपर भी उस कपिलको अज्ञ मानोगे तो आपका ईश्वर भी दूसरेके संसर्गसे कैसे चेतनात्मक हो सकता है :, जिससे कि हमारा हेतु असिद्ध हो जावे अर्थात् ईश्वरको मोक्षमा.
के उपदेशकत्वका अभाव सिद्ध करनेमें दिया गया अचेतनत्व हेतु सिब ही है । न्यायमार्गमें पक्षपात नहीं करना चाहिये।
प्रधानाधयि विज्ञानं न पुंसो ज्ञत्वसाधनम् । यदि भिन्नं कथं पुंसस्तत्तथेष्टं जडात्मभिः ॥ ६८ ॥
यदि यहां नैयायिक यह कहे कि सांस्योंके मतसे आधारभूत प्रधानमें रहनेवाला विज्ञान तो सर्वथा मिल होकर पुरुषका ज्ञातापन सिद्ध नहीं कर सकता है तो हम जैन भी नैयायिकोंके