Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्त्वादिसामणिः
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लहा बैतन्य उत्पन्न हो जावेगा। चून आदिके सहाये जानेपर समर्छन द्वीन्द्रिय, त्रींद्रिय या निगोराशि जीव उत्पन होजाते हैं किंतु मनुष्य घोडे, गाय, भैंस ये जीव उपजने चाहिये जैसे कि मासाके पेटम सत्त्व उपअसे हैं। यह आपादन है वस्तुतः चूनसे जीवोंका देह ही बनता है चैतन्य नहीं।
भूतानि कति चित्किञ्चित्कर्तुं शक्तानि केन चित् । परिणामविशेषेण दृष्टानीति मतं यदि ।। १३१ ॥ तदा देहेन्द्रियादीनि चिद्विशिष्टानि कानि चित् । चिद्विवर्तसमुद्भूतौ सन्तु शतानि सर्वदा ॥ १३२ ॥
चार्वाक बोलते हैं कि "जैसे वर्षा ऋतुके जल और मिट्टी से तथा द्रव्यपरिवर्तनस्वरूप व्याहारकालसे असंरूप मेंढक, गिंदोरे, गिंजाई, पतझा, इंद्रगोप आदि जंतु उत्पन्न हो जाते हैं, सब स्थानाम और सप तुम नहीं होते है। इसी प्रकार कितने ही बार कोई कोई विशेष मूतचतुष्टय ही किसी विशेषपरिणामसे किन्हीं विशेष जीवोंको उत्पन्न करनेमें समर्थ देखे गये है। गर्भ या भन्य योनियों में मिले हुए भूतचतुष्टय चैतश्यको उत्पन्न कर देते हैं थाली, कसैंमें नहीं। भावार्थ कहते हैं कि यदि तुम्हारा ऐसा मन्तब्य है तब तो आपने प्रामाणिक प्रतीति के अनुसार कार्यकारण-व्यवस्था स्वीकार की इससे हमें मसलता हुई। इस तरह तो चेतन आस्मासे संयुक्त हो रहे कोई विलक्षण शरीर, इंद्रिय आदिक ही उस गर्म भादिकके समय सन्यपर्यायको परिया उत्पन्न करनेमें सर्वदा समर्थ हो जावो । यह स्वीकार कर लेना चाहिए । अर्थात् छिपे हुए चैतन्यस्वरूप उपादानकारणसे और शरीर, इंद्रियां, क्षयोपशम, उत्साह आदि निमित्तकारणोंसे चैतन्यकी उत्पत्ति होती है । जबसे जड शरीर ही बनता है चेतन नहीं । दाल, अमरूद आदिके सडनेपर जो कोट आदि उपस हो जाते हैं उनका शरीर ही दाल आदिसे बनता है अनादि आत्मा नहीं। आत्मा तो इधर उपरसे वहां जन्म ले लेता है, असंख्य आस्मायें प्रतिक्षण अन्मते, मरते, हैं ।
तथा सति न दृष्टस्य हानि दृष्टकल्पना । मध्यावस्थावदादौ च चिदेहादेश्चिदुद्भवात् ॥ १३३ ॥ ततश्च चिदुपादानाच्चेसनेति विनिश्चयात् । न शरीरादयस्तस्याः सन्त्युपादानहेतवः ॥ १३४ ॥
उस प्रकार ऐसा कार्य, कारण, माननेपर प्रत्यक्ष और अनुमानसे देखे जाने हुए पदार्थकी हानि नहीं हुयी अर्थात् मध्य अवस्थामै अप्रिसे अग्नि या दीपकसे दीपकलिकाकी उत्पत्ति होने के 31